Tuesday 27 November 2018

गाय और शेर की ..प्रेरणादायक कहानी ...जय गुरुदेव




एक गाय घास चरने के लिए एक जंगल में चली गई। शाम ढलने के करीब थी। उसने देखा कि एक बाघ उसकी तरफ दबे पांव बढ़ रहा है। वह डर के मारे इधर-उधर भागने लगी। वह बाघ भी उसके पीछे दौड़ने लगा।

दौड़ते हुए गाय को सामने एक तालाब दिखाई दिया। घबराई हुई गाय उस तालाब के अंदर घुस गई। वह बाघ भी उसका पीछा करते हुए तालाब के अंदर घुस गया। तब उन्होंने देखा कि वह तालाब बहुत गहरा नहीं था। उसमें पानी कम था और वह कीचड़ से भरा हुआ था। उन दोनों के बीच की दूरी काफी कम हुई थी। लेकिन अब वह कुछ नहीं कर पा रहे थे। वह गाय उस किचड़ के अंदर धीरे-धीरे धंसने लगी। वह बाघ भी उसके पास होते हुए भी उसे पकड़ नहीं सका। वह भी धीरे-धीरे कीचड़ के अंदर धंसने लगा। दोनों भी करीब करीब गले तक उस कीचड़ के अंदर फस गए। दोनों हिल भी नहीं पा रहे थे। गाय के करीब होने के बावजूद वह बाघ उसे पकड़ नहीं पा रहा था।

थोड़ी देर बाद गाय ने उस बाघ से पूछा, क्या तुम्हारा कोई गुरु या मालिक है?

बाघ ने गुर्राते हुए कहा, मैं तो जंगल का राजा हूं। मेरा कोई मालिक नहीं। मैं खुद ही जंगल का मालिक हूं।

गाय ने कहा, लेकिन तुम्हारे उस शक्ति का यहां पर क्या उपयोग है?

उस बाघ ने कहा, तुम भी तो फस गई हो और मरने के करीब हो। तुम्हारी भी तो हालत मेरे जैसी है।

गाय ने मुस्कुराते हुए कहा, बिलकुल नहीं। मेरा मालिक जब शाम को घर आएगा और मुझे वहां पर नहीं पाएगा तो वह ढूंढते हुए यहां जरूर आएगा और मुझे इस कीचड़ से निकाल कर अपने घर ले जाएगा। तुम्हें कौन ले जाएगा?

थोड़ी ही देर में सच में ही एक आदमी वहां पर आया और गाय को कीचड़ से निकालकर अपने घर ले गया। जाते समय गाय और उसका मालिक दोनों एक दूसरे की तरफ कृतज्ञता पूर्वक देख रहे थे।


 वे चाहते हुए भी उस बाघ को कीचड़ से नहीं निकाल सकते थे क्योंकि उनकी जान के लिए वह खतरा था।

गाय समर्पित ह्रदय का प्रतीक है। बाघ अहंकारी मन है और मालिक सद्गुरु का प्रतीक है। कीचड़ यह संसार है। और यह संघर्ष अस्तित्व की लड़ाई है। किसी पर निर्भर नहीं होना अच्छी बात है लेकिन उसकी अति नहीं होनी चाहिए। आपको किसी मित्र,किसी गुरु, किसी सहयोगी की हमेशा ही जरूरत होती है।

🙏जयगुरुदेव🙏

Tuesday 6 November 2018

जानिए:- कामयाबी के लिए संतुलन क्यों जरूरी है?

दोस्तों यदि हमें Life में कामयाब यानी successful होना है तो हमे जीवन में संतुलन जरूर बनाये रखना है मतलब बैलेंस बनाये रखना जरूर है! दुनियां में बहुत से लोग ऐसा कर भी पाते है और वह जीवन की हर लड़ाई को जीत लेते है , लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते है और उन्हें हार का सामना करना पढ़ता है! 
यह भी पढ़िए:-  जीवन के पांच सिद्धांत जो बदल देंगे आपकी ज़िंदगी





आपको जीवन रुपी रस्सी पर चलने और life में balance बनाने के लिए जिस Tool की जरूरत होगी वह आपके पास आपके जन्म से ही है! उसका नाम है- दिमाग! Mind होता तो सभी के पास है- लेकिन बहुत कम लोग ही इसका सही से इस्तेमाल कर पाते है! 


दोस्तों आपने खेल जरूर देखा होगा जिसमे एक व्यक्ति रस्सी पर चलता है और चलते समय अपना संतुलन बनाये रखता है ताकि वह गिरे नहीं! 



संतुलन बनाने के लिए वह अपने हाथ में एक लम्बा डंडा ले लेता है! यह डंडा उसे रस्सी पर चलते समय balance बनाये रखने में मदद करता है!  



सोचों दोस्तों , अगर उस व्यक्ति के पास वह डण्डा नहीं हो तो , क्या वह रस्सी पर चलते समय अपना बेलेन्स बना पायेगा? नहीं! वह बेलेन्स नहीं बना पायेगा और वह गिर जाएगा! 


इसी प्रकार हम सभी को एक जीवन मिला है जो इस रस्सी के समान ही है , जिस पर हमें चलना है!  जो व्यक्ति इस पर बैलेंस बना कर चलता है वह अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लेता है और इस पर बैलेंस नहीं बना पाता , वह गिर जाता और असफल हो जाता है! 



यदि दोस्तों हम इस खेल को देखे तो खेल खेलना वाला एक डण्डे की सहायता से बैलेंस बनाता है! यानी हमे भी अपने जीवन में बैलेंस बनाये रखने के लिए एक टूल की जरूरत होगी! वैसे जीवन में हम सब कुछ अच्छा चाहते है! हम चाहते है की सब कुछ बैलेंस रहे  बहुत से लोग ऐसा कर भी पाते है और वह जीवन की हर लड़ाई को जीत लेते है , लेकिन कुछ लोग ऐसा नहीं कर पाते है और उन्हें हार का सामना करना पढ़ता है! 



जीवन में सभी लोग सफलता प्राप्त करना चाहते है! सभी बहुत पैसा चाहते है! सभी लोग अच्छा रिलेसशनशिप चाहते है! साथ ही सभी लोग अच्छा और बेहतर स्वाथ्य के मालिक बनना चाहते है! 



सभी लोग इन सभी को पाने का पूरा प्रयास भी करते है , लेकिन इन सभी में बेलेन्स न बना पाने के कारण लोग कई चीजों को गवां देते है और खुद को असफल महसूस करते है! 



आपको इस जीवन रुपी रस्सी पर चलने और लाइफ में बैलेंस बनाने के लिए जिस टूल की जरूरत होगी वह आपके पास है आपके जन्म से ही है , उसका नाम है आपका दिमाग! अब आप कहेंगे की यह तो सबके पास होता है , तो हर कोई अपने जीवन में बैलेंस क्यों नहीं बना पाता? 




दोस्तों  यह माइंड होता तो सभी के पास है , लेकिन बहुत कम लोग ही इसका सही इस्तेमाल कर पाते है!  



दोस्तों आप इस लेख यदि पूरा पढ़ेंगे तो निश्चिन्त रूप से अपने माइंड का इस्तेमाल जीवन में बैलेंस बनाने के लिए सही से कर पाएंगे! 


आइये  जानते है की जीवन में संतुलन बनाये रखने के लिए आपको अपने माइंड की मदद से क्या क्या करना चाहिए! आगे दिए गए तरीको को ध्यान से पढ़िए और अपने जीवन में संतुलन बनाकर साधारण जीवन को एक सफल जीवन में बदल दीजिये! 

जीवन में बेलेन्स बनाने के उपाए 

1. 👉  सबसे पहले आप उन चीजों की एक लिस्ट बना लीजिये जिसमे आप बैलेंस बनाना चाहते है! 

2. 👉  लिस्ट बनाने के लिए आप कभी दो चीजों को एक साथ मत जोड़िये! शाम को अपने ऑफिस से आने के बाद आप अपने घर पर समय दीजिये! इसके लिए आप टाइम फिक्स कर सकते है!  

3. 👉  बैलेंस बनाने के लिए आप रोज कुछ समय फैमिली को अवश्य दे! आप वीकेंड में रात के खाने के लिए आप किसी रेस्टोरेंट में जा सकते है , या किसी पिकनिक पर जा सकते है! 

4. 👉   बहुत से लोग ऑफिस में अपनी घरेलू ज़िंदगी के बारे में और शाम को घर जाकर अपने ऑफिस के काम के बारे में सोचते  रहते है! ऐसा बिलकुल भी नही करना चाहिए! 

5. 👉  आपको कुछ भी करना हो तो आप सही से तभी कर पाएंगे जब आपके पास एक प्राथमिक क्रम हो! अपनी बॉडी को स्वस्थ्य बनाने के लिए आपको प्रत्येक दिन कुछ समय जरूर निकालना चाहिए! 

6. 👉   सेहत बनाने के लिए आपको रोज सुबह सुबह का समय निकालना चाहिए! आप सुबह उठ कर ध्यान , व्यायाम आदि कर सकते है! इसके लिए आपको रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए और सेहत के लिए रोज 30 मिनिट जरूर निकालना चाहिए! 

7. 👉   आपका जीवन सही और संतुलन से चलता रहे , इसके लिए आपको आय में से कुछ पैसा जरूर लगाना चाहिए!  

8. 👉    आपका समय बर्बाद न हो इसके लिए आप रोज श्याम को एक डायरी में दिन भर में किये उन कार्यों के बारे में लिखिए जो बिलकुल भी जरूरी नहीं थे! 

9. 👉    आपको रोज अपने उन कार्यों के बारे में जरूर लिखना है जिनसे आपका टाइम ख़राब होता है! और उसकी जगह उन कामों को दीजिये जो जरूरी है! दोस्तों कुछ ही दिनों में आप पाएंगे की आप अपने हर जरूरी काम के लिए समय दे पा रहे है! 

10. 👉   अब सबसे जरूरी लाइफ के बारे में बात करते है , वह है- आपकी प्राथमिकता में आपको रोज कुछ समय अपने लिए भी देना चाहिए! आपके लिए क्या जरूर है , क्या सही है? आपका मन और आपका शरीर कितना संतुलन में है , सुबह सेहत के लिए कितना समय देना है , शाम को थकने पर क्या करना है ताकि रिलेक्स मिले! इन सभी चीजों के बारे में सोच कर आपको इनके लिए समय जरूर देना चाहिए! 

दोस्तों  यदि आपको यह लेख अच्छा लगा तो जरूर नीचे बताये गए सोशल मीडिआ आइकॉन पर क्लिक कर इस ब्लॉग को शेयर करे. और यदि आपके मन में कोई सवाल है तो आप बेझिक पूछ सकते है....धन्यवाद. 

हिंदीविचार जो बदल दे आपकी ज़िंदगी 

Wednesday 27 June 2018

एक अच्छा लीडर





भयानक युद्ध चल रहा था, नेपोलियन की सेनाएं सीमा पर लड़ रही थी! उन दिनों सन्देश पहुचने का सबसे तेज़ और एकमात्र जरिया घुड़सवार ही थे!। नेपोलियन अपने केम्प में अपने मंत्रियों से चर्चा कर रहा था, तभी एक सन्देश वाहक बड़ी तेज़ी से घोडा दौड़ाता हुआ आया, जैसे ही वह कैंप पर पहुंचा उसका घोडा थकान, भूक, और प्यास से मर गया क्यों की वह रास्ते में कहीं भी आराम के लिए नहीं रुका था।

नेपोलियन ने उसका लाया हुआ सन्देश पढ़ कर तुरंत उसका जवाब लिखकर दे दिया, क्यों की सन्देश को सेना तक जल्दी से जल्दी पहुचाना बहुत ज़रूरी था, इसलिए नेपोलियन ने घुड़सवार को तुरंत रवाना होने को कहा।




जब उस सन्देश वाहक सेनिक ने बताया की उसका घोडा मर गया है तो नेपोलियन ने तुरंत कहा की कोई बात नहीं तुम मेरा ख़ास घोडा ले जाओ।

यह सुनकर सेनिक हेरान हो गया, क्यों की वह घोडा बहुत ख़ास था, उसके कई किस्से प्रचलित थे, सेनिक ने सकुचाते हुए कहा “सम्राट! में छोटा सेनिक आपके घोड़े पर कैसे बैठ सकता हूँ? यह सुनकर नेपोलियन ने कहा “एक छोटा आदमी भी दुनिया में ऊँची से ऊँची चीज़ प्राप्त कर सकता है! में भी कभी तुम्हारी ही तरह एक सामान्य सेनिक ही था!”




यह सुनने के बाद भी सेनिक का डर ख़त्म नहीं हुआ “सम्राट! मेरी हिम्मत नहीं हो पा रही है की में एक सम्राट के घोड़े पर बैठू! मुझे तो कोई सामान्य घोडा दे दीजिये!”




समझाते हुए नेपोलियन ने कहा “ देखो! सामान्य घोडा धीरे भागेगा और तुम देर से युद्ध स्थल पहुंचोगे, हो सकता है इसकी वजह से हम हार जाएँ, फिर न यह घोडा ख़ास रहेगा और न मेरी सम्राट की पदवी!, जीवन में हर किसी का एक विशेष महत्त्व होता है, एक ख़ास भूमिका निभाने के लिए हमें बनाया गया है जिसे हमें पूरा करना है! तुम इसी घोड़े को लेकर तुरंत रवाना हो जाओ ।
एक अच्छा लीडर वह होता है जो अपने पीछे चलने वालो के आत्मविश्वाश को बढाए!




दूसरों के अहसान को याद रखिये!

 दूसरों के अहसान को याद रखिये!




फ़्रांस का महान सम्राट नेपोलियन (Napoleon), जिसे हमेशा अपनी बहादुरी, ईमानदारी और दृढनिश्चय के लिए याद किया जाता है, सामान्य लोगो, अपने सेनिकों के साथ भी बड़ी सहजता और सरलता से पेश आता था। नेपोलियन में कई उच्च मानवीय गुण थे जिससे वह जानता में लोकप्रिय नायक की तरह बन गया।

यह कहानी उसकी मानवीयता, दया और अपने पर किये एहसान को याद रखना और उसकी कीमत चुकाने के बारे में है।




नेपोलियन ने बचपन में बहुत गरीबी देखि थी, कई बार उसके पास खाने के लिए पैसे नहीं होते थे, उसके स्कूल के बहार ही एक औरत फल और खाने की चीजें बेचा करती थी ।

कभी कभी एसा भी होता की नेपोलियन की जेब में एक सिक्का भी नहीं होता था, ऐसे में वो उस औरत से खाने की चीजें मजबूरी में उधार ले लिया करता और पैसे आने पर उसे ईमानदारी से लोटा देता। वह औरत भी नेपोलियन पर विश्वास कर उसे ख़ुशी खुसी उधार दे देती।




जीवन में आगे चलकर, अपनी योग्यता, मेहनत, धुन और महत्वकांक्षा के ज़रिये नेपोलियन फ़्रांस की सेना में एक सामान्य सेनिक से एक अफसर, फिर सेनापति और अंत में फ़्रांस का सम्राट बन गया! सम्राट बनने के बाद जब वह अपने पुश्तेनी गांव पहुंचा तो उसने लोगों से उस औरत का पता पुछा और उसके घर पर उससे मिलने गया।नेपोलियन ने उस औरत से पुछा “मेम, क्या आप मुझे पहचानती हैं?”

उस वक़्त नेपोलियन ने फोजी जनरल की वर्दी पहन रखी थी, जिसे देखकर वह औरत थोड़ी सहम गयी फिर उसने विस्मय से कहा “नहीं, माफ़ कीजियेगा में आपको नहीं जानती!?




नेपोलियन ने प्यार से मुस्कुराते हुए कहा “आप मुझे भूल गयीं हों, पर वह छोटा लड़का आपको अभी तक नहीं भूला है जिसे आप खुशी ख़ुशी उधार दे दिया करतीं थी” ।

यह कहकर नेपोलियन ने उस बूढी औरत को सिक्कों से भरी एक थेली उपहार में दी।





दोस्तों, हमेशा उन लोगों को याद रखिये जो आप पर एहसान करतें है, जो आपकी मदद करतें हैं, हमेशा उनका एहसान चुकाने की कोशिश कीजिये! फ़्रांस में सम्राट तो कई हुए होंगे पर क्या किसी को उनका नाम तक याद है? लेकिंग नेपोलियन को इन्ही इंसानियत के गुणों के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा!





गुजरात में एक प्रसिद्ध वकील

गुजरात में एक प्रसिद्ध वकील




गुजरात में एक प्रसिद्ध वकील

गुजरात में एक प्रसिद्ध वकील रहा करते थे ।
एक बार वे एक मुकदमा लड़ रहे थे कि गाँव में उनकीपत्नी बीमार हो गई ।.वे उसकी सेवा करने गाँव पहुचे कि उन्ही दिनों उनके मुक़दमे की तारीख पड़ गई ।.एक तरफ उनकी पत्नी का स्वास्थ्य था, तो दूसरी और उनका मुकदमा ।.
उन्हें असमंजस में देख पत्नी ने कहा –“मेरी चिंता न करे, आप शहर जाये । आपके न रहने पर कहीँ किसी बेकसूर को सजा न हो जाये ।”.



वकील साहब दुःखी मन से शहर पहुचे औरजब वे अपने मुवक्किल के पक्ष में जिरह करने खड़े हुए ही थे कि किसी ने उनको एक टेलीग्राम लाकर दिया।.उन्होंने टेलीग्राम पढ़कर अपनी जेब में रखलिया और बहस जारी रखी ।
अपने सबूतो के आधार पर उन्होंने अपने मुवक्किल को निर्दोष सिद्ध कर दिया, जो कि वह था भी ।.सभी लोग वकील साहब को बधाई देने पहुँचेऔर उनसे पूछने लगे कि टेलीग्राम में क्या लिखा था ?.
वकील साहब ने जब वह टेलीग्राम सबकोदिखाया तो वे अवाक् रह गए । उसमे उनकी पत्नी की मृत्यु का समाचार था ।



लोगों ने कहा- “आप अपनी बीमार पत्नी कोछोड़कर कैसे आ गए ?”.
वकील साहब बोले –“आया तो उसी के आदेश से ही था; क्योकि वह जानती थी कि बेकसूर को बचाने का कर्तव्य सबसे बड़ा धर्म होताहै “।.



वे वकील साहब और कोई नहीं — सरदारवल्लभ भाई पटेल थे, जो अपनी इसी कर्तव्य परायणता के कारण लौह पुरुष कहलाये |.सरदार जी के लिए एक लाइक करने की कोशिश करें





हाथी की रस्सी

हाथी की रस्सी




हाथी की रस्सी
एक बार एक आदमी सर्कस देखने गया, वहां सभी प्रकार के जानवरो को पिंजरों में रखा गया था। जब वह हाथियों के बाड़े से गुजरा तो वह अचानक रुक गया और बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया, वह सोचने लगा की इतने बड़े और शक्तिशाली जानवर को ना तो किसी पिंजरे और न ही किसी ज़ज़ीर से बल्कि, सिर्फ एक कमज़ोर, छोटी रस्सी से बांधकर रखा गया है. उसने सोचा की अगर चाहे तो यह हाथी कभी भी अपने पैर में बंधी इस कमज़ोर रस्सी को तोड़कर आज़ाद हो सकता है, लेकिन यह हाथी ऐसा कभी नहीं करता।



उसने पास ही एक महावत ( हाथी पालने वाला ) को देखा, और उससे पूछा
” यह शक्तिशाली हाथी इतनी कमज़ोर रस्सी से क्यों बंधा है और कभी भी आज़ाद होने की कोशिश क्यों नहीं करता ?
महावत ने कहा ” जब ये हाथी छोटे और कमज़ोर थे तब हम इन्हे इसी आकर की रस्सी से बांधकर रखते थे, तब ये हाथी कमज़ोर थे और इस रस्सी को नहीं तोड़ पाते थे, धीरे धीरे ये बढ़े होते गए तब भी ये हाथी इस बात को विश्वास करने के आदि हो गए की वे इस रस्सी को नहीं तोड़ सकतें हैं।



अब भी वे यही विश्वास करतें हैं की ये रस्सी इनसे नहीं टूटेगी इसलिए ये कभी रस्सी तोड़कर आज़ाद होने का प्रयास नहीं करते।”
यह उत्तर सुनकर वह व्यक्ति आश्चर्य से सोचने लगा की ये जानवर जब चाहें तब अपने बंधन से आज़ाद हो सकतें हैं लेकिन क्यों की वे एसा विश्वास करतें हैं की वे ऐसा नहीं कर सकते इसलिए शक्तिशाली होने के बावजूद भी गुलामी की ज़ंज़ीर में जकड़े रहतें हैं।

इन्ही हाथियों की तरह हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो यह विश्वास करतें हैं की हम कोई काम नहीं कर सकते सिर्फ इसलिए की हम उसे पहली बार करते हुए असफल हो गए थे।




किसी काम को करते हुए असफल हो जाना सामान्य बात है, नाकामी, सीखने की प्रकिर्या का एक हिस्सा है, हमें अपने विश्वास को बनाये रख जीवन में संघर्ष करते रहना चाहिए।





Wednesday 13 June 2018

तू यह नहीं कर सकता? एक प्रेरणादायक कहानी




नमस्कार दोस्तों आज के हिंदी विचार में आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ जो की बहुत ही उम्दा और प्रेरणादायक है इस कहानी को आप सभी जरूर पढ़े ....धन्यवाद्  

दोस्तों यह कहानी है , दो दोस्तों की , जो एक गांव में रहते थे! जिसमे से एक आठ साल का था , और दूसरा दस साल का , दोनों अच्छे दोस्त थे! बुल्कुल सोले फिल्म के जय और वीरू के जैसे दोनों हमेशा साथ रहा करते थे! साथ-साथ खेलते कूदते , साथ-साथ खाते-पीते और साथ-साथ नाचते गाते!
इन्ही भी पढ़े-  हमारी दोस्ती की असली पहचान क्या है?
                             



फिर एक दिन वह दोनों अपने गांव से खेलते-खेलते दूर निकल जाते है! उनमे से एक दोस्त  (दस साल वाला) , वह अचानक  कुए में गिर जाता है और बहुत जोर से चीखता और चिल्लाता है! क्यूंकि उसे तैरना नहीं आता था! 




अब जो दूसरा दोस्त था मतलब (आठ साल वाल) वह अपने आस-पास में देखता तो उसे कोई नज़र नहीं आ रहा था! ताकि वह बुला सके मदद के लिए! 



तभी उसने नीचे एक बाल्टी और रस्सी देखि , तो उसने ना आव देखा और ताव देखा  और जल्दी से उसने बाल्टी को कुए में  फेक दिया! 




तभी उसका दोस्त वह रस्सी पकड़ लेता है और बाल्टी के सहारे किनारे आ जाता है , लेकिन उसका दोस्त (आठ साल वाला) वह रस्सी पुरी ताकत और जोर के साथ खींचता रहा , खींचता रहा और वह तब खींचता रहा जब तक उसका दोस्त जो की उससे बड़ा था (दस साल का) , उसे वह (आठ साल का) दोस्त उसे तब तक खींचता रहा जब तक की वह उस कुए से बहार न निकल जाता!



 अब यह कहानी यहाँ तक तो ठीक थी , मतलब यह कहानी हमें समज आ रही है , लेकिन वास्तव में  हुआ क्या? वह दोनों  इतने डर गए थे और एक दूसरे को गले लगा का रो रहे थे , क्यूंकि उससे (छोटे वाले दोस्त) ने  अपने (बडे  वाले दोस्त) को कुए से बहार खींच कर बचाया था , वह दोनों आश्चर्य में लींन हो गए थे! 







क्यूंकि जैसे ही यह दोनों दोस्त एक हो गए और एक दूसरे से गले मिल रहे , रो रहे और खुश हो रहे तब उन्हें  एक तरफ से उन्हें डर भी लग रहा था! 



 डर इसलिए था की अब गांव जायेंगे तो बहुत पिटाई होगी मतलब  वह  इस घटना की जानकारी  बताएँगे की कुए गिरने के बाद केसे बचाया तो पता  नहीं क्या होगा? 







लेकिन सब से मज़े की बात तो , यह की वह दोनों अपने  गांव गए और वहा जाकर अपने घर वालों और  गांव के लोगों को बताया तो किसीने उन पर विश्वास ही नहीं किया उन दोनों पर! 



 वह सब लोग अपनी जगहे ठीक थे , क्यूंकि इतने से बच्चे में इतनी ताकत कहाँ से आई की  वह अपने से (बड़े दोस्त को)  खींच ले बहार वो भी कुए में से तो ऐसा सोच कर कोई उन पर विश्वास ही नहीं कर रहे थे! सब लोग सोच रहे थे ऐसा कैसे हो सकता है 







क्यूंकि जो लड़का पानी की भरी बाल्टी बहार नहीं खींच सकता वह इतना वजन कैसे उठा सकता है?  मतलब उन पर कोई भी विश्वास ही नहीं कर रहे थे!



 लेकिन एक आदमी था उस गांव में , जिसने उन दोनों पर विश्वास कर लिया था , उन्हें सब गांव के लोग रहीम चाचा कहते थे , रहीम चाचा सबसे समझदार बुजुर्गों  में से एक थे , और सब को लगा की यार यह  झूठ नहीं बोलते है जरूर सच है इनकी बात में  तभी रहीम चाचा इन पर विश्वास कर रहे तभी सारे गांव वाले इक्कठे होकर रहीम चाचा के पास चले जाते है! 







और जाकर के पूछते है की देखिये हमें तो कुछ समझ आ नहीं रहा आप बताइये  की ऐसा कैसे हो सकता है! 







तभी चाचा को हंसी आ गयी और बोले में क्या बताऊँ बच्चे बता तो रहे है! 



उसने बाल्टी को उठा कर कुए में फेखा और इसने बाल्टी को पकड़ा और अपनी पूरी ताकत से उसे खींच दिया और अपने दोस्त को बचा लिया!







 कुछ देर बार सारे गांव वाले उनकी तरफ देखंने लगे!



 बात यह नहीं  की वह छोटा सा बच्चा कैसे कर पाया यहाँ सवाल यह है की वह यह क्यों कर पाया? उसमे इतनी ताकत कहाँ से आयी? 







बस एक जवाब , सिर्फ एक जवाब  है की- जिस वक्त उस बच्चे ने यह किया मतलब बढे वाले बच्चे को खींचा , उस समय दूर-दूर तक कोई नहीं था उस जगहे पर , बच्चे को यह बताने वाला  की तू यह नहीं कर सकता! कोई नहीं था , कोई नहीं , वह खुद भी नहीं.....संदीप माहेश्वरी 

Friday 25 May 2018

नास्तिक की भक्ति





प्रेरणादायी कहानी 

*नास्तिक की भक्ति* 
.
हरिराम नामक आदमी शहर के एक छोटी सी गली में रहता था।* 
.
*वह एक मेडिकल दुकान का मालिक था। सारी दवाइयों की उसे अच्छी जानकारी थी, दस साल का अनुभव होने के कारण उसे अच्छी तरह पता था कि कौन सी दवाई कहाँ रखी है।* 
.
*वह इस पेशे को बड़े ही शौक से बहुत ही निष्ठा से करता था। दिन-ब-दिन उसके दुकान में सदैव भीड़ लगी रहती थी, वह ग्राहकों को वांछित दवाइयों को सावधानी और इत्मीनान होकर देता था।*
.
*उसे भगवान पर कोई भरोसा नहीं था वह एक नास्तिक था,* 




.
*खाली वक्त मिलने पर वह अपने दोस्तों के संग मिलकर घर या दुकान में ताश खेलता था।* 
.
*एक दिन उसके दोस्त उसका हालचाल पूछने दुकान में आए और अचानक बहुत जोर से बारिश होने लगी, बारिश की वजह से दुकान में भी कोई नहीं था।* 
.
*बस फिर क्या, सब दोस्त मिलकर ताश खेलने लगे।* 
.
*तभी एक छोटा लड़का उसके दूकान में दवाई लेने पर्चा लेकर आया। उसका पूरा शरीर भीगा था।*




.
*हरिराम ताश खेलने में इतना मशगूल था कि बारिश में आए हुए उस लड़के पर उसकी नजर नहीं पड़ी।* 
.
*ठंड़ से ठिठुरते हुए उस लड़के ने दवाई का पर्चा बढ़ाते हुए कहा- "साहब जी मुझे ये दवाइयाँ चाहिए, मेरी माँ बहुत बीमार है, उनको बचा लीजिए.* 
.
*बाहर और सब दुकानें बारिश की वजह से बंद है। आपके दुकान को देखकर मुझे विश्वास हो गया कि मेरी माँ बच जाएगी। यह दवाई उनके लिए बहुत जरूरी है।
.
*इस बीच लाइट भी चली गई और सब दोस्त जाने लगे। बारिश भी थोड़ा थम चुकी थी,* 
.
*उस लड़के की पुकार सुनकर ताश खेलते-खेलते ही हरिराम ने दवाई के उस पर्चे को हाथ में लिया और दवाई लेने को उठा,* 
.
*ताश के खेल को पूरा न कर पाने के कारण अनमने से अपने अनुभव से अंधेरे में ही दवाई की उस शीशी को झट से निकाल कर उसने लड़के को दे दिया।* 
.




*उस लड़के ने दवाई का दाम पूछा और उचित दाम देकर बाकी के पैसे भी अपनी जेब में रख लिया।*
.
*लड़का खुशी-खुशी दवाई की शीशी लेकर चला गया। वह आज दूकान को जल्दी बंद करने की सोच रहा था।* 
.
*थोड़ी देर बाद लाइट आ गई और वह यह देखकर दंग रह गया कि उसने दवाई की शीशी समझकर उस लड़के को दिया था, वह चूहे मारने वाली जहरीली दवा है,* 
.
*जिसे उसके किसी ग्राहक ने थोड़ी ही देर पहले लौटाया था, और ताश खेलने की धुन में उसने अन्य दवाइयों के बीच यह सोच कर रख दिया था कि ताश की बाजी के बाद फिर उसे अपनी जगह वापस रख देगा।*
.
*अब उसका दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। उसकी दस साल की नेकी पर मानो जैसे ग्रहण लग गया।* 
.
*उस लड़के बारे में वह सोच कर तड़पने लगा। सोचा यदि यह दवाई उसने अपनी बीमार माँ को देगा, तो वह अवश्य मर जाएगी।* 
.
*लड़का भी बहुत छोटा होने के कारण उस दवाई को तो पढ़ना भी नहीं जानता होगा।* 




.
*एक पल वह अपनी इस भूल को कोसने लगा और ताश खेलने की अपनी आदत को छोड़ने का निश्चय कर लिया पर यह बात तो बाद के बाद देखी जाएगी। अब क्या किया जाए ?*
.
*उस लड़के का पता ठिकाना भी तो वह नहीं जानता। कैसे उस बीमार माँ को बचाया जाए ?* 
.
*सच कितना विश्वास था उस लड़के की आंखों में। हरिराम को कुछ सूझ नहीं रहा था। घर जाने की उसकी इच्छा अब ठंडी पड़ गई। दुविधा और बेचैनी उसे घेरे हुए था।* 




.
*घबराहट में वह इधर-उधर देखने लगा। पहली बार उसकी दृष्टि दीवार के उस कोने में पड़ी, जहाँ उसके पिता ने जिद्द करके भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर दुकान के उदघाटन के वक्त लगाई थी,* 
.
*पिता से हुई बहस में एक दिन उन्होंने हरिराम से भगवान को कम से कम एक शक्ति के रूप मानने और पूजने की मिन्नत की थी।*
.
*उन्होंने कहा था कि भगवान की भक्ति में बड़ी शक्ति होती है, वह हर जगह व्याप्त है और हमें सदैव अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देता है।* 
.
*हरिराम को यह सारी बात याद आने लगी। आज उसने इस अद्भुत शक्ति को आज़माना चाहा।* 




.
.
*उसने भी आज पहली बार कमरे के कोने में रखी उस धूल भरे कृष्ण की तस्वीर को देखा और आंखें बंद कर दोनों हाथों को जोड़कर वहीं खड़ा हो गया।* 
.
*थोड़ी देर बाद वह छोटा लड़का फिर दुकान में आया। हरिराम को पसीने छूटने लगे। वह बहुत अधीर हो उठा।*




.
*पसीना पोंछते हुए उसने कहा- क्या बात है बेटा तुम्हें क्या चाहिए ?*
.
*लड़के की आंखों से पानी छलकने लगा। उसने रुकते-रुकते कहा- बाबूजी.. बाबूजी माँ को बचाने के लिए मैं दवाई की शीशी लिए भागे जा रहा था, घर के करीब पहुँच भी गया था,* 
.
*बारिश की वजह से ऑंगन में पानी भरा था और मैं फिसल गया। दवाई की शीशी गिर कर टूट गई। क्या आप मुझे वही दवाई की दूसरी शीशी दे सकते हैं बाबूजी ? लड़के ने उदास होकर पूछा।* 
.
*हाँ ! हाँ ! क्यों नहीं ? हरिराम ने राहत की साँस लेते हुए कहा। लो, यह दवाई !*




.
*पर उस लड़के ने दवाई की शीशी लेते हुए कहा, पर मेरे पास तो पैसे नहीं है, उस लड़के ने हिचकिचाते हुए बड़े भोलेपन से कहा।*
.
*हरिराम को उस बिचारे पर दया आई। कोई बात नहीं- तुम यह दवाई ले जाओ और अपनी माँ को बचाओ। जाओ जल्दी करो, और हाँ अब की बार ज़रा संभल के जाना। लड़का, अच्छा बाबूजी कहता हुआ खुशी से चल पड़ा।*
.
*अब हरिराम की जान में जान आई। भगवान को धन्यवाद देता हुआ अपने हाथों से उस धूल भरे तस्वीर को लेकर अपनी धोती से पोंछने लगा और अपने सीने से लगा लिया।* 




.
*अपने भीतर हुए इस परिवर्तन को वह पहले अपने घरवालों को सुनाना चाहता था।* 
.




*जल्दी से दुकान बंद करके वह घर को रवाना हुआ। उसकीfurther नास्तिकता की घोर अंधेरी रात भी अब बीत गई थी और अगले दिन की नई सुबह एक नए हरिराम की प्रतीक्षा कर रही थी...*

सोनू मेवाडे.....www.hindivichar597.online

Friday 23 March 2018

जरूर पढ़े- प्रेरक कहानी , जो बदले आपकी ज़िंदगी






नमस्ते दोस्तों

आज मै आपके लिए  लेकर आया हूँ एक प्रेरक कहानी  यह कहानी भगवान बुद्ध और  एक गरीब व्यक्ति  की है…जो अपना भला न चाहते हुए भी , दूसरों की मदद करता है , उसकी किस्मत कैसे बदलती है ....अतः हमें इस कहानी से प्रेणना लेनी चाहिए ....जरूर पढ़िए ...धन्यवाद 

 वह व्यक्ति बहुत गरीब था और वह कुछ पैसे कमाता , तथा अपना जीवनयापन करता था! एक दिन बात है , उसके घर से खाना चोरी हो जाता है? वह बहुत परेशान होता और भूखा ही सो जाता है , उसके दूसरे दिन उसने एक चूहे को पकड़ा और उससे पूछा की तू मेरा खाना क्यों चुराता है? तुझे तो पता है न   मै  कितना  गरीब हूँ? , अगर तुझे चुराना ही है तो किसी अमीर के यह से चुरा…!


तभी चूहा बोला  …भाई तू कितना ही कुछ कर ले तेरी किस्मत मै यही लिखा है , तू मेरी बात मान और भगवान बुद्ध के पास  जा…!
              तभी उस व्यक्ति ,  ने भगवान् बुद्ध से मिलने का सोच ही लिया और निकल पड़ा ….चलते चलते ..उसे रात हो गयी थी ,  तभी उसे एक घर दिखा और उसमे आराम करने के लिए घर वालो से इजाजत मांगी , घर वालो ने उसे इजाजत दे दी !






           घर वालो ने पूछा की तुम  कहाँ जा रहे हो ?…..उसने उत्तर दिया की मै भगवान बुद्ध के पास जा रहा हु…  अपनी किस्मत के बारे में जानने के लिए , उन्होंने उससे कहा की क्या तुम भगवान बुद्ध से हमारे लिए एक सवाल पूछोगे.?हमारी एक सोलह साल की लड़की है जो की बोल नहीं सकती ….उनसे उपाय पूछ लेना! उसने कहा ठीक है..और वह सुबह होते ही उस घर से निकल पड़ा ..

              चलते …..चलते ..उसे एक बर्फ का पहाड़ मिलता है ,  जिसे उसे पार करके जाना था तभी उसे वह एक बाबा मिले …बाबा ने कहा बेटे कहाँ जा रहे हो …उसने कहा …….में भगवान् बुद्ध के पास जा रहा हूँ …अपनी किस्मत जानने के लिए तभी बाबा ने कहाँ बेटे मेरा भी एक सवाल का जवाब पूछ लेना मै यह बहुत दिनों से तपस्या कर रहा हूँ परन्तु मै अभी तक स्वर्ग मै नहीं गया…उसने कहा ठीक है …और बाबा ने उसे अपने चमत्कारी छड़ी से उसे बर्फ का पहाड़ पार करवा दिया 

        परन्तु उसे अब एक नदी को और पार करना था …उसे एक विशालकाय कछुआ दिखा अब कछुआ ने भी यही सवाल किया तो उसने कहा में भगवान् बुद्ध के पास जा रहा हूँ कछुआ बोला मे ड्रैगन कैसे बनु उनसे पूछ लेना ….उसने कहा ठीक है और उसने अपनी पीट पर बैठा कर नदी पार करवा दिया …..और भगवान् बुद्ध के पास पहुंच गया! 

             परन्तु वह पर भी सिर्फ ३ सवाल के जवाब ही मिलेंगे अब वह लड़का आश्चर्य में आ गया …और उसे अपना वाला सवाल छोड़ कर वो तीनो सवाल पूछ लिए जिनके द्वारा वह भगवान् बुद्ध के पास पंहुचा था …..अब वह व्यक्ति वापस लौट आता है और जिस-जिस से वह मिला था उन्हें उनके सवाल का जवाब देता है! 




  • कछुए  से कहा…. तुम अपना कवच छोड़ दो , कछुए ने जैसे अपना कवच छोड़ा तो वह ड्रैगन बन गया और लड़के को उसके कवच से हीरे प्राप्त हुए ..
  • उसने  बाबा से कहा की आप ये जादू से चमत्कार करने वाली छड़ी को छोड़ दो ….और बाबा स्वर्ग में चले गए ….उसे उनकी छड़ी प्राप्त हुई! 
  • अब वह व्यक्ति उस घर में गया जहाँ रुका था उसने उपाए बताये और उनकी बेटी ठीक हो जाती है तभी घर वाले उस लड़की की शादी उस व्यक्ति से करवा देते है 
        अब वह व्यक्ति बहुत खुश था क्यूंकि उसने अपनी स्वयं की प्रॉब्लम को सोल्व नहीं करते हुए , दूसरों की प्रॉब्लम को सॉल्व किया … उनसे  प्राप्त उपहार  से वह अपना अच्छे से जीवनयापन करने लगा था&




            अब आप सोच रहे होंगे की मैंने यह स्टोरी क्यों बताई ..इसका सीधा मतलब यह की आप अगर दुसरो की मदद करोगे तो आपकी भी को न कोई मदद करेगा ही चाहे वह मदद इंसान करे या स्वम  भगवान!     
              यदि लाइफ मै कुछ बड़ा करना है न तो लाइफ में बड़ी से बड़ी प्रॉब्लम को सॉल्व करते रहना चाहिए और यही सक्सेस की एक कड़ी है 





        दोस्तों आपको यह कहानी कैसी लगी हमें में कमेंट जरूर बातये  हमे आपके कमेंट का इन्तजार है आप इसे आगे भी शेयर करे ...धन्यवाद!