Saturday 10 November 2018

प्यार कभी मरता नहीं...मार दिया जाता है! एक प्यार सी प्रेमकहानी

शाम का समय था कुछ धुधला-धुधला सा दिखाई दे रहा था कुछ लोग मिलकर एक लडकी और एक लडके को बेद़्दी से मार रहे थे |जाति -धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे को मार रहे थे | कुछ लोग कह रहे हिन्दू की लडकी से प्यार करोगे तो यही होगा| कुछ लोग कह रहे थे हम राजपूत है और अपनी बेटी को मुस्लमान से शादी नही करने देगे "लाशे बिछा देगे लाशे"| चारो ओर खून से लथपथ लाशे पडी थी|यह सब देखकर रश्मि चीखते हुए जाग जाती है उसके मुँह से सिर्फ यही निकलता है"अली" और वहाँ ए सी होते हुए भी वो पसीने से भीग जाती है| उसकी माँ दौडती हुई आती है और पूछती है बेटी क्या हुआ रश्मि कहती है माँ आज मैने दोबारा वही सपना देखा जो बचपन से देखती आ रही हूँ| साधना जो रश्मि की माँ है वो कहती है कि बेटा ये तो सपना है और सपने कभी सच नही होते| रश्मि जल्दी उठकर नहा ले तब तक मै टेबल पर नाश्ता लगाती हूँ सुबह के 9 बज गए है तुझे रिकाडिग के लिए नही जाना| रश्मि बाथरूम की ओर जाती है और साधना किचन की ओर जाती है मगर रश्मि के दिमाग से वो सपना नही जा रहा था वो जल्दी से नहाकर टेबल पर आ जाती है| जल्दी-जल्दी नाश्ता करके वो अपनी कार से अपने आफिस के लिए निकलती है| रश्मि एक बहुत बडी सिंगर थी ऐसा कोइ नही था जो उसे न जानता हो दिल्ली की हर गली मे उसके फैन थे सबकी जुबान पर रश्मि के गाने थे| रश्मि 22 साल की नौजवान खूबसूरत लडकी थी उसे 2 साल पहले ही गाने का चाँस मिला और उसके बाद उसने कभी पीछे मुडकर नही देखा| अब वो बालीवुड की बेस्ट सिंगर है| उसे पार्टियो में जाना ज्यादा पंसद नही था फिर भी वो अपने फैन्स के लिए कुछ खास पार्टियो मे जाती थी|

रश्मि अपने अॉफिस जाती है जहाँ रश्मि का सेक्रटरी गनपत उसका इंतजार कर रहा था| रश्मि गनपत से पूछती ह़ै कि आज का क्या स्डूयल है| गनपत कहता है कि कुछ गानो की रिकाडिग करनी है और शाम को मल्होत्रा जी के यहाँ जाना है| मल्होत्रा की वजह से ही रश्मि को गाने का चाँस मिला था| फिर से पार्टी, रश्मि कहती है मै पार्टियो मे बोर हो जाती हूँ| गनपत कहता है आप वहाँ चलिए बाकी सब मै सम्भाल लूँगा आप सिर्फ वहाँ जाकर बैठ जाना लोगो को हैंडल करना मुझे आता है| रश्मि कहती है ठीक है पहले रिकार्डिंग कर ले फिर सोचगे क्या करना है| रिकार्डिंग के बाद रश्मि घर जाने से पहले गनपत से कहती है मै घर जा रही हूँ शाम 6 बजे मेरे घर आ जाना वही से पार्टी मे चलेगे| रश्मि और गनपत अपने घर चले जाते है|मगर रश्मि के दिमाग मे दोबारा वही सपना घूमने लगता है| रश्मि अपनी माँ साधना से कहती है माँ इन सब सपनो और अली से मेरा कोइ रिश्ता है तभी बार-बार ये सपने मुझे दिखाई देते है| साधना कहती है ये सिर्फ सपने है और इनका बार-बार आना महज एक इत्तफाक है| मगर साधना मन ही मन इन सपनो को लेकर परेशान थी| वो कहती है बेटा पहले कुछ खालो फिर जो सोचना है सोचती रहना| रश्मि लंच करते हुए कहती है माँ आज रात मल्होत्रा अंकल के घर पार्टी मे जाना है तो मेरे लिए कुछ मत बनाना| लंच के बाद रश्मि बैडरूम मे जाकर लेट जाती है और सो जाती है| जब रश्मि की आँख खुलती है तो शाम के 5 बज चुके थे वो उठकर बाथरूम मे चली जाती है और नहाकर पार्टी के लिए तैयार होने लगती है| हल्का सा मेकअप करके तैयार होकर बाहर आती है| तबतक गनपत आ चुका था और वो हॉल मे बैठा चाय पी रहा था| रश्मि के आते ही गनपत उठता है और कहता है मैडम चले| रश्मि कहती है पहले चाय तो खत्म कर लो फिर आराम से चलेगे मुझे वहाँ जाने की कोई जल्दी नही है| वो कार से धीरे-धीरे मल्होत्रा के फार्म हाऊस की ओर चलते है| थोडी देर मे उनकी कार वहाँ पहुँचती है| पार्टी शुरू हो चुकी थी| मल्होत्रा ने ये पार्टी अपने बेटे करन के लंदन से वापस आने की खुशी मे दी जोकि वहाँ एक बडी बिजनस डील पूरी करके लौटा था| रश्मि पार्टी मे पहुँचती है वहाँ गनपत भी उनके साथ था| पार्टी मे ज्यादा भीड नही थी| पार्टी मे सिर्फ मल्होत्रा के कुछ खास बिजनेस पाटनर और उनक़ा बेटा था| पार्टी मे मल्होेत्रा रश्मि को सबसे मिलवाता है और अंत मे अपने बेटे मिलवाता है वो कहता है"ही इज माइ सन" और करन ये रश्मि इसे तो जानते ही होगे| करन सोचता है "(अपने प्यार को कौन नही पहचानेगा)"| करन अपना हाथ आगे बढाता है और जैसे ही रश्मि का हाथ करन के हाथ से मिलता है रश्मि को झटका सा लगता है| रश्मि को कुछ याद आने लगता है



रश्मि एक राजकुमारी की वेशभूषा मे है और वो अपने रथ पर सैनिको के साथ मंदिर से लौट रही थी कि लुटरो ने रथ को घेर लिया| लुटेरो का सरदार जोर से हँसता हुआ बोला आज तो माल के साथ राजकुमारी भी मिल गई| आज मै राजकुमारी का भोग लगउगा|लुटेरो ने सब सैनिको को मार डाला और राजकुमारी को बंदी बना लिया| अंजलि(राजकुमारी) कहती है मै भी एक राजपूत की बेटी हूँ मै यूहि हार नही मान लूँगी वो लुटेरो से लडने लगती है किंतु ज्यादा समय तक उनका समाना नही कर पाती और जंगल की ओर भागने लगती है| एक लुटेरा कहता है सरदार वो भाग रही है| सरदार कहता भागने दो इस जंगल से भागकर कहाँ जाएगी और सब लुटरे अपने घोडो पर सवार होकर अंजलि के पीछे दौडने लगते है अंत मे एक पहाडी खाई के पास लुटेरे अंजलि को दोबारा घेर लेते है| अंजलि खाई मे कूदने ही वाली थी तभी एक नौजवान उसका हाथ पकडकर अपनी ओर खीच. लेता है और अंजलि को खाई मे कूदने से बचा लेता है|तभी लुटेरे उस नौजवान पर हमला कर देते है वो नौजवान भी उन पर टूट पडता है| कुछ समय तक लुटरो से लडने के बाद लुटेरे नौजवान पर भारी पडने लगते है उस नौजवान का शरीर जश्मी हो गया था एक लुटेरा उस नौजवान के सीने मे भाला मारने वाला ही था कि तभी एक तीर उसके सीने को चीर चुका था| वह तीर राजा के सैनिक ने चलाया था| क्योकि अब राजकुमारी के पिता अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँच चुके थे और लुटेरो को सैनिक बंदी बना लेते है वही कुछ लुटेरे भागने मे कामयाब हो जाते है किंतु लुटेरो का सरदार पकडा जाता है| राजा विक्रम सिंह आदेश देते है कि इन सब लुटेरो को बंदीगृह मे डाल दिया जाए और जल्द ही इनको फाँसी के फन्दे पर लटका दिया जाए| राजा विक्रम पुछते है नौजवान तुम कौन हो और कहाँ रहते हो| नौजवान कहता है कि महाराज मेरा नाम अली है और मै पास ही के मुस्लिम गाँव मे रहता हूँ| राजा विक्रम कहते है अली तुमने आज राजमहल की इज्जत बचाई है बोलो तुम्हे क्या चाहिए| अली कहता है महाराज ये तो मेरा कर्तव्य था अब मै चलता हूँ| महाराज कहते की तुम्हे बहुत चोट लगी है तुम महल चलो मै तुम्हारा इलाज शाही वैध से करवाऊगा| वे एक सैनिक को आदेश देते है तुम अली के घर जाओ और उसके घर वालो को अली के महल मे होने की सूचना दो यदि उन्हे कोइ परेशानी हो तो उसका निवारण करो| यह कहकर राजा अंजलि और अली को लेकर महल की ओर प्रस्थान करते है| महल पहुँचकर अली का इलाज शुरू हो जाता है| परन्तु इन सब घटनाओ के बीच अंजलि और अली एक दूसरे से प्यार करने लगते है| वे महल के कभी किसी कोने तो कभी अंजलि के शयनकक्ष मिलते और प्यार भरी बाते करते ये सब यूहि चलता रहा| कुछ दिनो बाद अली पूर्णतया स्वस्थ हो गया परन्तु उन दोनो का मिलना-जुलना बंद नही हुआ वे मंदिर के पीछे मिलने आते थे| एक दिन एक लुटेरे ने ये सब देख लिया उसने तुरन्त इसकी सूचना राजदरबार मे पहुँचा दी जब इस बात की सूचना राजा को मिली तो राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और जल्द से जल्द अंजलि के लिए लडका खोजने के लिए कहा| मंत्री ने कहा जैसा महाराज ने कहा वैसा ही होगा| मंत्रीे जल्दी ही पास के राज्य के राजकुमार का रिश्ता ले आए और महाराज के हुक्म से ये रिश्ता पक्का हो गया| कुछ दिन बाद शादी का मुहुर्त निकला| ये रिश्ता अंजलि को मंजूर न था इसलिए उसने अपनी दासी से यह संदेश अली को भेजा कि "अली मै शादी करूगी तो तुमसे करूगी वरना मै जहर खाकर जान दे दूँगी"| अली उस दासी से कहता है तुम कल शाम को अंजलि के साथ मंदिर आ जाना हम वही शादी कर लेगे| तुम सिर्फ उसे ले आना बाकी तैयारी मै खुद कर लूगा|एक लुटेरे ने उन दोनो की बात सुन ली और यह खबर राजमहल और अली के गाँव मे पहुँचा दी|शाम के समय अली मंदिर मे शादी की तैयारी करके अंजलि का इंतजार कर रहा था| कुछ देर मे अंजलि मंदिर पहुँचती हैऔर शादी के मंत्रोच्चारण शुरू होते है मगर उसी समय एक ओर से राजा के सैनिक और दूसरी ओर से गाँव के मुस्लमान मंदिर पहुँच जाते है|हिन्दूओ का कहना था कि मुस्लमानो ने हमारी बेटी को बहला फुसलाकर शादी के लिए राजी कर लिया है मुस्लमानो का कहना था कि हिन्दूओ ने हमारे बेटे को फँसा लिया है| उन दोनो का कहना था कि हम ये धर्म विरोधी शादी नही होने देगे|
इस तरह हिन्दू मुस्लमान की लडाई शुरू हो जाती है लोग एक दूसरे को मारने लगते है| अली और अंजलि की शादी होते देख कुछ लोग उनकी तरफ बढते है और उन दोनो को डण्डो से पीटने लगते है|अली अंजलि और स्वयं को बचाने की कोशिश करने लगता है उसी कोशिश मे वो खडा हो जाता उसी समय एक आदमी ने भाला फेककर अली को मारा जोकि अली के पेट मे घुस गया और उसके हाथ का मंगलसूत्र उडते हुए एक पेड पर जा टँगा| उन लोगो ने अंजलि और अली को पीट-पीटकर मार डाला | वो मंगलसूत्र उसी पेड पर टँगा था| रश्मि को सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से थी कि अंजलि का चेहरा रश्मि से और अली का चेहरा करन से हूबहु मिलता है| रश्मि को सब बाते समझ आ चुकी थी| अब रश्मि को अपने सपनो का सच पता चल चुका था|उसी समय करन रश्मि को हिलाते हुए कहता है रश्मि मेरा हाथ छोडने का मन नही है क्या?रश्मि असहज महसूस करते हुए कहती है ऐसी कोई बात नही है और जाकर गनपत के साथ चेयर पर बैठ गई|कुछ देर बाद रश्मि अपने घर चली गई और गनपत अपने घर चला गया| रश्मि ये तो जानती थी कि करन उससे प्यार करता है मगर उससे प्यार का इजहार कैसे करे यही सोच रही थी|



Tuesday 6 November 2018

मेरी दीवाली ....दीवाली पर एक कविता एवं आप सभी को दीवाली की हार्दिक शुभकामनाये



जिसका दीप जले मन में 
राग द्वेष मद लोभ मिटा दें
ऊर्जा भर दें जो तन में। 

सुख समृद्धि का दयाक हो
कष्ट पाप का मोचन हो,
आओ ऐसा दीप जलाएं
जिससे दुनिया रौशन हो।

भाई भाई को मिला दे
पर में भी अपनत्व जगा दे 
कम हो जाये दिल की दूरी,
शुद्ध प्रेममयी लोचन हो 
आओ ऐसा दीप जलाएं
जिससे दुनिया रौशन हो।

चलो चलें हम उनसे मिलने,
जो नहीं चले हमारे साथ
जो दीप पड़े हैं झझकोरों में
चलो लगा दें उन पर हाथ
हृदय लगा लें आओ सबको
त्याग प्रेम का सिंचन हो 
आओ ऐसा दीप जलाएं
जिससे दुनिया रौशन हो।

वो भी मेरे अपने है
जो दीप बेंचते हैं पथ पर
जो भीख मांगते हैं पथ पर
वो भी मेरे अपने हैं 
फटी-फटी साड़ी है जिसकी
वो माता भी मेरी है 
सूख रही है नाड़ी जिसकी
वो बहना भी मेरी है।

आँसू गालों से होकर होंठों की प्यास बुझाते हैं
वो भाई भी मेरा है 
जो पढ़ने को न पाते हैं
दीवाली में बड़े-बड़े पटाख़े तो हम दागते हैं 
पर भारत माँ के दुःखित हृदय को भांप नहीं पाते हैं
अबकी कुछ ऐसा कर जाएं
ताकि इस ऋण का भी मोचन हो 
आओ ऐसा दीप जलाएं
जिससे दुनिया रौशन हो।

- नारायण दत्त 


Monday 3 September 2018

दोस्ती है या प्यार ....एक छोटी से प्रेमकहानी

 दोस्ती है या प्यार ....एक छोटी से प्रेमकहानी

बात उस समय की है जब मैं भोपाल  से MBA कर रहा था ,मैं अपने class की एक लड़की से प्यार करता था और उस से शादी कर के एक अच्छा जीवन जीना चाहता था | मगर मुझे पता नहीं था की आने वाला समय मेरे जीवन मैं ऐसा मोड़ लेकर आएगा ,उस लड़की का नाम आरती (काल्पनिक नाम ) था ,वो पढने मैं बहुत अच्छी थी और दिखने मैं सरल और सादगी से भरी हुई | लड़कियों से बात करने मैं झिजक तो हमेशा से रही है ,इतनी हिम्मत नहीं थी की उसके पास सीधे जा कर अपने दिल की बात कह सकूँ | चमक धमक से आकिर्षित होने वाली लड़की वो थी नहीं ,तो सोचा चलो पढाई मैं अच्छे नंबर ला कर ली कुछ काम हो पाएगा ,दिन रात मेहनत की और इस बार class मैं मैंने आरती को पछाड़ कर फर्स्ट रैंक हासिल की |

मुझे लगने लगा था की अब शायद इस लड़की को पाना कठिन नहीं है ,मगर उस रात दोस्तों से साथ कुछ ऐसी महफ़िल सजी की शराब के नशे मैं कॉलेज फेस्ट मैं जाना पड़ा ,कदमों मैं लडखडाहट थी | उसको भी मुझे ऐसी हालत मैं ही देखना था ,अब भाई लड़के हैं दोस्तों मैं कभी कभी शराब हो जाती है |



शायद वो लड़की कुछ जायदा ही सीधी थी ,इतनी सीधी की कॉलेज मैं पढने के बावजूद मोबाइल फ़ोन तक नहीं रखती थी | उसको ये पता चल चुका था की मैं उससे प्यार करता हूँ ,उसकी नज़रें जब भी मेरी नज़रों से मिलती थीं तो नजाकत से झुक जाती थी | मेरे सारे दोस्तों को भी लगता था की हम दोनों एक दुसरे के लिए ही बने हैं |

बात होली की है , सबको रंग लगाने के बाद वो मेरे पास आई ,मेरे चेहरे पर रंग लगाया और कहा हैप्पी होली साहिल | उसके हाथों का संपर्क जैसे ही मेरे चेहरे से हुआ मुझको ऐसा लगा जैसे समय वहीँ रुक गया हो ,जैसे अब कुछ नहीं चाहिए जिंदिगी से ,इस पल मैं अपनी पूरी जिंदिगी को समेट कर रख लेना चाहता था ,वक्त से इस पल को चुरा के अपने पास रख लेना चाहता था | 
सब कुछ अच्छा चल रहा था मगर फिर मेरी लव स्टोरी की मैं विलन की एंट्री होती है | ये कोई और नहीं आरती की सहेली सोनम (काल्पनिक नाम ) थी | मुझ मैं इतनी हिम्मत नहीं थी की आरती से सीधे जा कर अपने दिल की बात कह सकूँ तो सोचा आरती की बेस्ट फ्रेंड को माध्यम बनता हूँ |
मैंने सोनम से बात करना शुरू की और उसको बताया की मैं आरती से प्यार करता हूँ, उसका जबाव था की आरती तुमसे प्यार नहीं करती और उसके घरवाले कभी शादी की इज़ाज़त नहीं देंगे | मेरा दिल टूट गया मगर मैंने सोनम से बात करना ज़ारी रक्खा ये सोच के की शायद आगे आरती का मन बदल जाए ,मगर हुआ इसके विपरीत |


सोनम ने मुझसे फ़्लर्ट करना शुरू कर दिया | मैंने सोचा आरती की सहेली है ,साली हुई अपनी चलो थोडा बहुत फ़्लर्ट तो चलता है भाई | मैंने भी फ़्लर्ट ज़ारी रक्खा ,मगर मुझको नहीं पता था की सोनम किस तरह से मेरे पीछे पड़ जाएगी ,वो मेरी ही caste की थी तो उसके घर वाले भी चाहते थे की उसकी शादी मुझसे हो जाए | मैं उसके साथ अच्छा व्यवहार इसलिए करता क्योँकी वो आरती की पक्की सहेली थी मगर वो मेरे अच्छे व्यवहार को प्यार समझने लगी |
अब भाई कोई लड़की इतना प्यार करेगी तो कौन लड़का होगा जो मना कर पाएगा भाई हमने भी हाँ कह दिया , मगर बाद मैं मुझको पता चला की आरती मुझसे प्यार करती थी ,और सोनम ने मुझसे झूठ बोला था क्यूंकि वो मुझे हर हाल मैं पाना चाहती थी 
मैंने सोनम को मिलने के लिए बुलाया , मैं उसके घर के पास के चाय की ठेले पर उसका इंतज़ार कर रहा था | वो बाहर आई ,गज़ब सी खूबसूरती थी उसमें ,आँखों मैं एक कशिश थी ,जब वो मुस्कुराती थी तो ऐसा लगता था जैसे एक साथ हजारो फूल खिल गए हों | आज उसने पर्पल कलर का टॉप पहना हुआ था |

‘ साहिल , क्योँ बुलाया है तुमने मुझे ? क्या प्लान है आज का ? ‘ उसने पूछा 
‘ आज मौसम बहुत अच्छा है तो सोचा की कहीं घूम के आते हैं ‘ , मैंने कहा
‘ तुम कोई दिन फंसवोगे मुझे , आज भैया और पापा दोनों घर पर ही हैं ’ , उसने हँसते हुए कहा 

वो मेरी मोटरसाइकिल के पीछे बैठ गयी , उसका दाहिना हाथ मेरी कमर पर था और बांया हाथ मेरे कंधे पर | हम हाईवे पर आ चुके थे | आज बहुत दूर जाने का मन था , किसी ऐसे जगह जहाँ सिर्फ हम दोनों हों |

ऐसा लग रहा था जैसे मौसम भी हमारा साथ दे रहा हो ,आसमान मैं हलके हलके बादल घिरे हुए थे और साथ मैं बसंत का महिना , हर तरह हरियाली छाई हुई थी |
सोनम ने मुझे कस के पकड़ लिया , शहर से १० km बाहर आने पर मैंने एक खुबसूरत सी जगह पर अपनी मोटरसाइकिल रोकी | एक सुंदर सी झील थी वहां जहाँ कभी मैं अपने दोस्तों के साथ घुमने आया करता था , मगर आज वहां सिर्फ हम दोनों थे |
हम दोनों झील के पास बैठ गए , उसने अपने बायें हाथ से मेरे दाहिने हाथ को कुछ ऐसे पकड़ा की मेरी उंगलियों के बीच के खाली जगह को उसकी उंगलियों ने भर दिया | हलकी हलकी हवा चल रही थी और उसके रेशमी बाल उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे | उसके बालों की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी , ऐसा लग रहा था की जैसे शायद यही वो पल था जिसका इंतज़ार मैं कब से कर रहा था | 

‘ साहिल मुझको तुम्हे कुछ बताना है ’ , उसने सन्नाटे को तोड़ते हुए कहा
‘ क्या सोनम , क्या कहना चाहती हो ? ’ , मैंने पूछा
‘ आरती भी तुमसे उतना ही प्यार करती थी जितना की तुम उससे करते थे ’ , सोनम ने कहा 

ये वो पल था जिसने एकदम से पुरे माहोल को बदल कर रख दिया |
‘ सोनम तुमने ऐसा क्योँ किया ? ’ ,मैंने पूछा
‘ क्यूंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ , और मैं जानती हूँ मुझसे जायदा प्यार तुमसे कोई भी नहीं कर सकता ’ , सोनम ने जबाव दिया
‘ ऐसा तुम सोचती हो सोनम , और तुम गलत भी हो सकती हो ’ , मैंने गुस्से मैं कहा 

‘ तुम सिर्फ मेरे हो साहिल और मैंने तुम्हे पाने के लिए झूठ बोला , मगर अगर किसी अच्छे उद्देश के लिए झूठ भी बोला जाए तो वो सच से बढ़ कर होता है , मैं तुम्हे बहुत प्यार करना चाहती हूँ साहिल ’ , ऐसा कह कर उसने मुझे कस के गले लगा लिया |
उसके हाथ मेरे कंधो को जकड़े हुए थे , मैंने उससे अलग होते हुए कहा ‘ सोनम ये सब गलत है , ऐसा तुम सोचती हो, तुमने एक बार भी ये नहीं सोचा की मैं आरती से कितना प्यार करता था ’

‘ मुझे कोई फरक नहीं पड़ता की तुम किस्से प्यार करते हो , मैं जानती हूँ की वो लड़की तुम्हे उतना प्यार कभी नहीं कर पाएगी जितना मैं कर सकती हूँ . जान भी दे सकती हूँ मैं तुम्हारे लिए ’ , सोनम ने कहा
हम दोनों घर की तरफ चल दिए , मगर इस बार फरक इतना था की वही सुहाना मौसम अब सुहाना नहीं लग रहा था , और शायद मौसम को भी मेरे दिल की बात कैसे पता चल गयी | बादलों के गरजने के साथ हलकी बारिश शुरू हो गयी | सोनम ने बारिश से बचने के लिए मुझे पीछे से कस के पकड़ लिया , मगर अब मुझे ये बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था |


मैं तो अपने ही विचारो मैं खोया हुआ था , ‘ सोनम ने जो मेरे साथ किया वो सही है ? क्या वो सच मैं मुझसे बहुत प्यार करती है ? या उसको सिर्फ मेरी ज़रूरत है अपने अकेलेपन से बचने के लिए ? क्या झूठ बोल कर प्यार हासिल करके सोनम ने सही किया ? ‘ बहुत सारे सवाल थे मेरे दिल मैं जिनके जबाव मुझको नहीं पता थे |
हाँ एक बात तो पक्की थी और वो ये झूठ बोल कर प्यार हासिल कर के सोनम ने मुझे पा तो लिया मगर साथ ही उसे कुछ और भी मिला और वो था मुझे खोने का ‘ डर ‘|

मैं उसको उसके घर छोड़कर अपने घर पहुंचा , बारिश से कपडे भीग गए थे और तबियत भी ख़राब लग रही थी , बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गयी पता नहीं चला , मगर जब आँख खुली तो पता चला की फ़ोन बज रहा था | ये सोनम का फ़ोन था , मैंने फ़ोन उठाया |


‘ साहिल , पता है मैं कितना परेशान हो गयी थी तुम्हारे लिए , कितनी बार फ़ोन किया मैंने , क्या कर रहे थे तुम ? ’ , सोनम ने कहा 

‘ सोनम मेरी तबियात ख़राब थी , इसलिए मैं सो गया था ’ , मैंने जबाव दिया 

‘ तुम सच बोल रहे हो ना ? , कहीं अपने दोस्तों के साथ बाहर घूम तो नहीं रहे और मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए बहाना बना रहे हो ? ’ , सोनम ने कहा 

‘ तुम मुझसे प्यार करते हो न साहिल ? ’ ,सोनम ने कहा 

‘ हाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ सोनम ’ , मैंने जबाव दिया 

‘अच्छा सुनो आज मेरे cousin की इंगेजमेंट है और तुमने कहा था की तुम साथ चलोगे , तो जल्दी से तैयार हो जाओ ’ , सोनम से कहा 

‘ सोनम मैं नहीं चल सकता , मेरी तबियत ठीक नहीं है ’ , मैंने जबाव दिया 

‘ तबियत ठीक नहीं है ये मेरे साथ नहीं जाना चाहते हो ? साफ़ साफ़ कहो न की मेरे साथ चलने मैं शर्म लगती है तुमको ? ’ , सोनम ने गुस्से मैं कहा और फ़ोन काट दिया 



फ़ोन रखते ही मैं गहन विचारो मैं डूब गया , ‘ये लड़की हीन भावना की शिकार है | हर परिस्तिथि को ये अपने हीन भावना के चश्मे से देखती है , इसको हमेशा ये लगता है की लोग इसको पसंद नहीं करते हैं , शायद इसका रंग कम होना एक कारण हो सकता है , मगर मुझे तो सांवली लडकियां हमेशा से अच्छी लगती हैं , एक अजीब सी कशिश होती है उनमें | ‘कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था , तभी मुझे अपने परम मित्र यश दीक्षित की याद आई , जिन्होंने अभी अभी मनोविज्ञान से अपनी पढाई पूरी की है , मैंने उन्हें फ़ोन लगाया और अपनी सारी समस्या बताई |


‘ इतनी गंभीर समस्या मैं कैसे फंस गए तुम ’ ,यश ने मेरा मजाक बनाते हुए कहा

‘ भाई तुम्हे तो मजाक लग रहा है और यहाँ मुझे समझ मैं नहीं आ रहा है की मैं इस लड़की से पीछा कैसे छुडाऊं ’ ,मैंने जबाव दिया 

‘ अच्छा उसके बचपन के बारे मैं बताओ ,कितने भाई बहन है और उसका बचपन कैसा बीता ? ’ ,यश ने पूछा 

‘ तीन भाई बहन हैं वो ,एक भाई और दो बहन ,सबसे बड़ी है सोनम ,जब वो छोटी थी तब उसके घर की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं थी , तब भी पिता ने सब बच्चो को सबसे अच्छे स्कूल मैं पढाया ,उसने मुझे बताया था की जब वो class १२ मैं आ गयी तब जाकर उसके घर मैं टीवी आया ‘ ,मैंने कहा 

‘ और बताओ मुझे क्या जानते हो उसके बारे मैं ? उसकी छोटी बहन उससे कितने छोटी है ? ’ ,यश ने बहुत ही गंभीरता से पूछा 

‘ उसके छोटी बहन उससे दो साल छोटी है , उसका बचपन कुछ जायदा अच्छा नहीं बीता ‘ ,मैंने जबाव दिया 

‘ अब समझ मैं आई सारी कहानी साहिल भाई ’ ,यश ने हँसते हुए कहा 

‘ सोनम जब छोटी थी ,तब सब उससे प्यार करते थे और फिर जब वो २ साल की हुई तो सब लोग उसकी बहन से प्यार करने लग गए ,क्यूंकि उसके घर की आर्थिक स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए कोई भी नयी चीज़ जब उसके घर आती तो वो उसकी बहन को मिलती सोनम की जगह ,उसके Sub Conscious मस्तिष्क मैं एक बात बैठ गयी की मेरी बहन ने मुझसे मेरा प्यार छीना है और इसी बात का बदला वो आज ले रही है | ‘ , यश ने कहा 

‘ मतलब ? ’ , मैंने आश्चर्जनक मुद्रा मैं पूछा 

‘ मतलब आरती मैं उसको अपनी बहन दिखाई देती है , उसने बदला लेने के लिए आरती से उसका प्यार छीन लिया ’ ,यश ने जबाव दिया 

‘ और रही बात हीन भावना की तो उसके माँ बाप अपने बच्चो मैं तुलना बहुत करते होंगे , और जैसा की तुमने बताया है की वो शहर के सबसे अच्छे स्कूल मैं पढ़ी , वहां वो और बच्चो को देखती होगी , अच्छे और महंगे कपडे पहनना , अच्छे से रहना , वो ये सब नहीं कर सकती थी इस बात से उसके मन मैं हीन भावना ने जन्म ले लिया ’ ,यश ने जबाव दिया 
‘ मतलब की लोगो से आगे निकलने की दौड़ मैं उसके माता पिता ने अपने बच्चो के साथ सच मैं गलत किया , भारत मैं ८० % राष्ट्रपति बहुत ही सामान्य दर्जे के हिंदी मध्यम स्कूल से पढ़ कर बढे हुए हैं ’ ,मैंने कहा 

‘ यही कारण है वो सबको ये बताने मैं लगी रहती है की वो कितनी अच्छी है , उसको लोगो की बुराई भलाई करने मैं अच्छा लगता है , वो सबको नीचा दिखने मैं लगी रहती है | इन सारी बातों का सिर्फ एक जबाव है , उसकी बहुत तुलना की गयी है बचपन मैं ’ , यश ने जबाव दिया 

‘ ये सब तो सही है यश भाई , मगर मुझे समझ मैं नहीं आ रहा की मैं इस लड़की से पीछा कैसे छुडाऊं ? ’ , मैंने कहा 

‘ भाई कल तू मेरे घर आ मैं तेरी समस्या का समाधान बताता हूँ ’ , 
यश ने हँसते हुए मुझसे कहा
अगले दिन सुबह उठ कर मैं यश दीक्षित के घर पहुंचा , वो अपने बगीचे मैं मेरा इंतज़ार कर रहे थे , टेबल पर चाय की केतली के साथ दो प्याले रक्खे हुए थे |

‘ आओ साहिल भाई , मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था ’ , यश ने मुस्कराते हुए कहा 
‘ भाई मैं बहुत परेशान हूँ आज कल , समझ मैं नहीं आ रहा है की क्या करूँ ’ , मैंने जबाव दिया 

‘ चीनी एक चम्मच या दो ? ’ , यश ने मुझसे पूछा
‘ एक ! ’ , मैंने कहा 

यश ने एक चम्मच चीनी मेरे प्याले मैं डाली और प्याले को मेरी तरफ आगे बढ़ाते हुए कहा

‘ भाई मेरे पास ऐसे कई केस आते रहते हैं ,और हम लोग थेरेपी दे कर धीरे धीरे पेशेंट को हीन भावना और मानसिक रोग से बहार निकाल लेते हैं , तुम उस लड़की को अगर ऐसे ही छोड़ दोगे तो वह और हीन भावना मैं चली जाएगी , उसको ऐसा लगेगा की उसमें सच मैं कोई कमी है तभी तुमसे उसको छोड़ दिया ‘ 

‘ फिर मैं क्या करूँ ? ’ , मैंने पूछा

‘ मुझे तुम्हारी समस्या का एक समाधान नज़र आ रहा है , तुम उसकी मुझसे दोस्ती करवाओ मैं उसको बिना बताये उसकी हीन भावना का इलाज़ करता रहूँगा , मैंने ऐसे कई पेशेंट का इलाज़ किया है ’ , यश ने कहा 

‘ मगर वो तुमसे दोस्ती क्योँ करेगी और वो तुमसे अपनी सारी बातें क्योँ शेयर करेगी ? ’ , मैंने कहा 

‘ तुम उसकी दोस्ती मुझसे करवाओ मगर उसको ये मत बताना की मैं मनोरोग का डॉक्टर हूँ ,मेरी कोई बहन नहीं है मैं उसको अपनी बहन बना लूँगा ,ऐसा होने से वो अपनी सारी बातें मुझसे बहुत आराम से शेयर कर लेगी ,’ यश ने कहा 

मैंने ऐसा ही किया सोनम की दोस्ती यश दीक्षित से करा दी और यश ने उसे अपनी बहन बना लिया , धीमे धीमे यश ने सोनम को बिना बताये थेरेपी देना शुरू की और सोनम हीन भावना से बहार आने लग गयी , उसे अपनी गलती का एहसास होने लग गया |

सोनम ने मुझसे और आरती दोनों से माफ़ी मांगी , आज सोनम पूरी तरह से हीन भावना से बहार आ चुकी है और एक अच्छी जिंदिगी जी रही है |

मेरी सोनम से अब बात नहीं होती है मगर यश की आज भी सोनम से दोस्ती



Wednesday 27 June 2018

एक अच्छा लीडर





भयानक युद्ध चल रहा था, नेपोलियन की सेनाएं सीमा पर लड़ रही थी! उन दिनों सन्देश पहुचने का सबसे तेज़ और एकमात्र जरिया घुड़सवार ही थे!। नेपोलियन अपने केम्प में अपने मंत्रियों से चर्चा कर रहा था, तभी एक सन्देश वाहक बड़ी तेज़ी से घोडा दौड़ाता हुआ आया, जैसे ही वह कैंप पर पहुंचा उसका घोडा थकान, भूक, और प्यास से मर गया क्यों की वह रास्ते में कहीं भी आराम के लिए नहीं रुका था।

नेपोलियन ने उसका लाया हुआ सन्देश पढ़ कर तुरंत उसका जवाब लिखकर दे दिया, क्यों की सन्देश को सेना तक जल्दी से जल्दी पहुचाना बहुत ज़रूरी था, इसलिए नेपोलियन ने घुड़सवार को तुरंत रवाना होने को कहा।




जब उस सन्देश वाहक सेनिक ने बताया की उसका घोडा मर गया है तो नेपोलियन ने तुरंत कहा की कोई बात नहीं तुम मेरा ख़ास घोडा ले जाओ।

यह सुनकर सेनिक हेरान हो गया, क्यों की वह घोडा बहुत ख़ास था, उसके कई किस्से प्रचलित थे, सेनिक ने सकुचाते हुए कहा “सम्राट! में छोटा सेनिक आपके घोड़े पर कैसे बैठ सकता हूँ? यह सुनकर नेपोलियन ने कहा “एक छोटा आदमी भी दुनिया में ऊँची से ऊँची चीज़ प्राप्त कर सकता है! में भी कभी तुम्हारी ही तरह एक सामान्य सेनिक ही था!”




यह सुनने के बाद भी सेनिक का डर ख़त्म नहीं हुआ “सम्राट! मेरी हिम्मत नहीं हो पा रही है की में एक सम्राट के घोड़े पर बैठू! मुझे तो कोई सामान्य घोडा दे दीजिये!”




समझाते हुए नेपोलियन ने कहा “ देखो! सामान्य घोडा धीरे भागेगा और तुम देर से युद्ध स्थल पहुंचोगे, हो सकता है इसकी वजह से हम हार जाएँ, फिर न यह घोडा ख़ास रहेगा और न मेरी सम्राट की पदवी!, जीवन में हर किसी का एक विशेष महत्त्व होता है, एक ख़ास भूमिका निभाने के लिए हमें बनाया गया है जिसे हमें पूरा करना है! तुम इसी घोड़े को लेकर तुरंत रवाना हो जाओ ।
एक अच्छा लीडर वह होता है जो अपने पीछे चलने वालो के आत्मविश्वाश को बढाए!




दूसरों के अहसान को याद रखिये!

 दूसरों के अहसान को याद रखिये!




फ़्रांस का महान सम्राट नेपोलियन (Napoleon), जिसे हमेशा अपनी बहादुरी, ईमानदारी और दृढनिश्चय के लिए याद किया जाता है, सामान्य लोगो, अपने सेनिकों के साथ भी बड़ी सहजता और सरलता से पेश आता था। नेपोलियन में कई उच्च मानवीय गुण थे जिससे वह जानता में लोकप्रिय नायक की तरह बन गया।

यह कहानी उसकी मानवीयता, दया और अपने पर किये एहसान को याद रखना और उसकी कीमत चुकाने के बारे में है।




नेपोलियन ने बचपन में बहुत गरीबी देखि थी, कई बार उसके पास खाने के लिए पैसे नहीं होते थे, उसके स्कूल के बहार ही एक औरत फल और खाने की चीजें बेचा करती थी ।

कभी कभी एसा भी होता की नेपोलियन की जेब में एक सिक्का भी नहीं होता था, ऐसे में वो उस औरत से खाने की चीजें मजबूरी में उधार ले लिया करता और पैसे आने पर उसे ईमानदारी से लोटा देता। वह औरत भी नेपोलियन पर विश्वास कर उसे ख़ुशी खुसी उधार दे देती।




जीवन में आगे चलकर, अपनी योग्यता, मेहनत, धुन और महत्वकांक्षा के ज़रिये नेपोलियन फ़्रांस की सेना में एक सामान्य सेनिक से एक अफसर, फिर सेनापति और अंत में फ़्रांस का सम्राट बन गया! सम्राट बनने के बाद जब वह अपने पुश्तेनी गांव पहुंचा तो उसने लोगों से उस औरत का पता पुछा और उसके घर पर उससे मिलने गया।नेपोलियन ने उस औरत से पुछा “मेम, क्या आप मुझे पहचानती हैं?”

उस वक़्त नेपोलियन ने फोजी जनरल की वर्दी पहन रखी थी, जिसे देखकर वह औरत थोड़ी सहम गयी फिर उसने विस्मय से कहा “नहीं, माफ़ कीजियेगा में आपको नहीं जानती!?




नेपोलियन ने प्यार से मुस्कुराते हुए कहा “आप मुझे भूल गयीं हों, पर वह छोटा लड़का आपको अभी तक नहीं भूला है जिसे आप खुशी ख़ुशी उधार दे दिया करतीं थी” ।

यह कहकर नेपोलियन ने उस बूढी औरत को सिक्कों से भरी एक थेली उपहार में दी।





दोस्तों, हमेशा उन लोगों को याद रखिये जो आप पर एहसान करतें है, जो आपकी मदद करतें हैं, हमेशा उनका एहसान चुकाने की कोशिश कीजिये! फ़्रांस में सम्राट तो कई हुए होंगे पर क्या किसी को उनका नाम तक याद है? लेकिंग नेपोलियन को इन्ही इंसानियत के गुणों के लिए हमेशा याद किया जाता रहेगा!





हाथी की रस्सी

हाथी की रस्सी




हाथी की रस्सी
एक बार एक आदमी सर्कस देखने गया, वहां सभी प्रकार के जानवरो को पिंजरों में रखा गया था। जब वह हाथियों के बाड़े से गुजरा तो वह अचानक रुक गया और बहुत ही आश्चर्य में पड़ गया, वह सोचने लगा की इतने बड़े और शक्तिशाली जानवर को ना तो किसी पिंजरे और न ही किसी ज़ज़ीर से बल्कि, सिर्फ एक कमज़ोर, छोटी रस्सी से बांधकर रखा गया है. उसने सोचा की अगर चाहे तो यह हाथी कभी भी अपने पैर में बंधी इस कमज़ोर रस्सी को तोड़कर आज़ाद हो सकता है, लेकिन यह हाथी ऐसा कभी नहीं करता।



उसने पास ही एक महावत ( हाथी पालने वाला ) को देखा, और उससे पूछा
” यह शक्तिशाली हाथी इतनी कमज़ोर रस्सी से क्यों बंधा है और कभी भी आज़ाद होने की कोशिश क्यों नहीं करता ?
महावत ने कहा ” जब ये हाथी छोटे और कमज़ोर थे तब हम इन्हे इसी आकर की रस्सी से बांधकर रखते थे, तब ये हाथी कमज़ोर थे और इस रस्सी को नहीं तोड़ पाते थे, धीरे धीरे ये बढ़े होते गए तब भी ये हाथी इस बात को विश्वास करने के आदि हो गए की वे इस रस्सी को नहीं तोड़ सकतें हैं।



अब भी वे यही विश्वास करतें हैं की ये रस्सी इनसे नहीं टूटेगी इसलिए ये कभी रस्सी तोड़कर आज़ाद होने का प्रयास नहीं करते।”
यह उत्तर सुनकर वह व्यक्ति आश्चर्य से सोचने लगा की ये जानवर जब चाहें तब अपने बंधन से आज़ाद हो सकतें हैं लेकिन क्यों की वे एसा विश्वास करतें हैं की वे ऐसा नहीं कर सकते इसलिए शक्तिशाली होने के बावजूद भी गुलामी की ज़ंज़ीर में जकड़े रहतें हैं।

इन्ही हाथियों की तरह हम में से कितने लोग ऐसे हैं जो यह विश्वास करतें हैं की हम कोई काम नहीं कर सकते सिर्फ इसलिए की हम उसे पहली बार करते हुए असफल हो गए थे।




किसी काम को करते हुए असफल हो जाना सामान्य बात है, नाकामी, सीखने की प्रकिर्या का एक हिस्सा है, हमें अपने विश्वास को बनाये रख जीवन में संघर्ष करते रहना चाहिए।





Thursday 12 April 2018

एक अधूरी दास्ताँ





  

लड़की के पास फोन आता है किसी लड़के का , जिसे वह जानती है!





Girl- hello.....यार कितनी रात हो गयी है तुमने फिर फोन किया. अभी तो बात किये थे थोड़ी देर पहले. 







Boy- तुम्हे बुरा लगा Ok फोन रखता हूँ



Girl- अगर तुमने फोन cut किया न तो में तुमसे बात नहीं करुँगी! 










Boy- तुमने ही तो कहा इतनी रात को मैंने फोन क्यों किया? अब जब मेने कहा रखता हूँ तो कहते हो बात नहीं करुँगी. हाँ! तुम लड़कियां न impossible हों! 







(तभी इतनी बात सुन कर लड़की के चहेरे पर एक प्यारसी मुस्कान आ जाती है लेकिन वह थोड़ा गुस्सा होती है)










Girl-(थोड़ा गुस्से में) तुम न बहुत बुरे हो! जाओ मुझे तुमसे बात नहीं करनी है! 







Boy- अरे यार गुस्सा क्यों करती हो रिया. में तो बस ऐसे ही कह रहा था! 







रिया - में भी ऐसे ही कह रही थी (हँसते हुए). लेकिन में तुमसे अभी भी नाराज हूँ समीर!







समीर-(तोडा confuse होते हुए) अब क्या हुआ मेरी जान?  







रिया- तुमने तब फोन cut क्यों किया?? 







समीर- वो एक मेरे दोस्त का फोन आ गया था! उसे कुछ जरूरी बात करना था इसलिए ........





I am sorry riya अब गुस्सा छोड़ दो.





रिया- अच्छा ठीक है माफ़ किया. (इसके बाद दोनों खुश हो जाते है) 





रिया- समीर १२ बारह बज गए है. 





समीर- हाँ तो?? 



रिया- happy birthday to you sameer. Many many returns of the day.

समीर:- ok thank you ....But मुझ यह बताओ आपको यह किसने बताया की आज मतलब सुबह मेरा birthday है...और मेने तो बताया भी नहीं और वैसे भी अपनी दोस्ती तो अभी हुई है ...मतलब समीर के पास कितने सवाल थे ...उससे जवाब जान ने के लिए .....तभी ...

रिया:- अरे नहीं समीर यार वो मुझे कोचिंग में ही पता चल गया था की कल समीर का बर्थडे है ... 

समीर:- ओके ...Thanks




Friday 16 March 2018

हमारे जीवन की कहानी! समय निकाले अपने पारिवारिक जीवन के लिए





            दोस्तों वैसे तो यह रूस के प्रसिद्ध लेखक टॉलस्टॉय की कहानी है लेकिन मुझे  पढ़ने में बहुत अच्छी लगी इसलिए , आपको अपने शब्दों में बता रहा हूँ....जरूर पढ़े और शेयर करे !




एक गांव में एक आदमी  रहता था किसान बहुत मेहनत करता था और खूब खेती करता था वो फिर भी अपने जीवन में खुश नहीं था , तो एक दिन की बात है उस आदमी  के घर एक आगंतुक  (महेमान) आया महेमान उसके यहाँ रात भी रुका , उन दोनों ने बहुत सारी बाते की एवं अपनी आप-बीती एक दूसरे को बताई! तभी उस महेमान ने कहा- "आप इतना परेशान न हो मेरे पास अपकि समस्या का हल है' आदमी  ने पुछा क्या है मुझे बताए? तो वह महेमान  बोला की 'मेरे गांव के पास एक गांव है वह की जमीन बहुत उपजाऊ है और अच्छी है , आप यहां  की सारी जमीन बेच बाच कर वह की जमीन लो , वो मुफ्त में मिल रही है! किसान बहुत खुश हुआ और सुबह का इन्जार करने लगा!  सुबह होते ही उसने अपने सभी जमीन को बेच कर उस गांव की और निकल गया साथ में उसने भोजन और पानी भी रखा ताकि वह भूखा न रहे!
                 उस गांव में पहुंचने के बाद , आदमी वह के लोगों से मिलता है तो उस गांव के लोग कहते है हाँ यहां जमीन मुफ्त है आप जितनी चाहो जमीन घेर  सकते हो लेकिन आपको सूरज डूबने से पहले इस गांव में आना पड़ेगा जहां से आपने जमीन घेरना शुरू किया था!  वह आदमी राजी हो गया और फिर दूसरे दिन की सुबह का इन्तजार करने लगा और रात में सोचने में सो नहीं पाया और पूरी रात गुजार दी!
                 अब सुबह होते ही आदमी शुरू हो जाता है अपनी जमीन घेरना , वह इतना उतावला हो जाता है की वह अपना खाना और पानी भी भूल जाता है , बस चलता जाता और साथ में दौड़ता भी जाता ताकि उसे अधिक  जमीन  मिल सके! वह दौड़ता थक जाता है फिर भी जमीन घेरता , अब दोपहर हो चुकी थी उसे बापिस लौटना था लेकिन वह और लालच में आता है और कोई मील भागता है! तभी उसके मन में आता की अगर में सूरज डूबने से पहले नहीं पहुंचा तो मुझे यह सारी जमीन नहीं मिल पायेगी! ऐसा सोच कर वह वापिस लौटता है लेकिन अब उसे उतनी दूरी तय करना है जितना उसने अपनी जमीन घेरी , फिर उतनी कोशिस करता दौड़ता , भागता और गांव की और आता! आदमी बहुत थक जाता है और श्याम भी ढलने वाली होती है और वह आदमी बहुत परेशान होता है और सोचता है अपने मन में यदि कम जमीन घेरता तो अब उस गांव में पहुंच जाता!
                 अब उस आदमी के पास समय नहीं रहा सूरज डूबने में सिर्फ एक ही किरण नजर आ रही थी इधर उस आदमी की भी दूरी यही करीब २ गज ही रही थी की सूरज डूब जाता है और अँधेरा हो जाता है और उस आदमी को भी ठोकर लगती है और उसकी मृत्यु हो जाती है!
                  दोस्तों इस से हमें यह प्रेरणा मिलती है की इस आदमी के जैसे ही हमारी ज़िंदगी भी इतनी ही भागदौड़ वाली है जिसमे हम चंद रुपयों पैसों के लिए कड़ी महेनत करते और हम अपने समय का ध्यान नहीं रखते बस सुबह स्याम , दिन रात लगे रहते है पैसा कमाने! हमारे पास जितना है हम उस में भी खुश नहीं है फिर भी सोचते है और आने दो , और आने दो  इसमें हम अपने घर परिवार पत्नी ,  बच्चो को समय नहीं दे पाते है जो हमारे पारिवारिक जीवन के लिए उचित नहीं है......!
                दोस्तों यह कहानी आपको कैसी लगी नीचे कमेंट में मुझे बता सकते है और अपने घर परिवार के लिए थोड़ा समय दे ...धन्यवाद दोस्तो फिर हाजिर होंगे एक और नए हिंदी विचार के साथ ..सोनू