Wednesday 16 May 2018

MP.- 4 विषय में फ़ैल हुए बेटे का , पिता ने निकाला जुलूस जानिये- क्यों








मध्यप्रदेश के सागर जिले के एक परिवार ने अपने 4 विषय में फ़ैल हुए बेटे का , पिता ने निकाला जुलूस , जो की सबको चौकाने वाला है और थोड़ा अजीब भी है क्यंकि- 






आपने लोगों को अपनी जीत पर खुशियां और जश्न मानते देखा होगा लेकिन यह उसके विपरीत हुआ , आप विश्वास भी नहीं कर सकते है लेकिन यह सच है! यह एक पिता ने अपने बेटे के लिए किया , लेकिन क्यों किया इसका कारण अभी पता चेलेगा , आप पढ़ते रहे!

 परिवार  के सदस्यों ने और दोस्तों ने दसवीं में फ़ैल हुए बेटे का खूब जुलूस निकाला और अतिशबादी साथ में सब को मिठाइयां भी बांटी! 

परिवार का कहना है की कही उनका बेटा अवसाद में न आ जाये  , इसलिये उन्होंने ऐसा किया! 





छह विषय में से, चार विषय में था फ़ैल:- 
 छह में से चार विषयों में था फेल
दरअसल, मध्य प्रदेश में 10वीं और 12वीं बोर्ड की परीक्षाओं के रिजल्ट सोमवार को घोषित हुए. रिजल्ट में कई लोग अच्छे नंबरों से पास हुए, तो कई लोग फेल भी हुए. परीक्षा में पास हुए स्टूडेंट्स ने तो जश्न मनाया. वहीं, सागर के शिवाजी वार्ड के निवासी सुरेंद्र कुमार व्यास ने अपने बेटे के 10वीं में फेल होने पर पार्टी का आयोजन किया. शिवाजी वार्ड के सरस्वती शिशु मंदिर में पढ़ने वाले कक्षा 10वीं का छात्र आशु व्यास छह में से चार विषयों में फेल हो गया था. पेशे से ठेकेदार सुरेंद्र ने अपने बेटे के 10वीं में फेल होने पर दी पार्टी में आस-पास के सभी लोगों को बुलाया. पार्टी में आतिशबाजी के साथ ही मिठाई और खाने की भी व्यवस्था की गई थी. 


इससे मिलेगी बेटे को प्रेरणा- पिता
इस अजीबोगरीब पार्टी के बारे में पूछने पर सुरेंद्र कुमार व्यास ने कहा कि परीक्षा में असफल होने के बाद बच्चे अवसादग्रस्त हो जाते हैं. उनमें से कुछ अपने जीवन को खत्म करने का कदम उठाने से भी नहीं हिचकते हैं. उन्होंने कहा कि पार्टी देकर मैंने अपने बेटे को और ज्यादा मेहनत के लिए प्रेरित किया है. उन्होंने कहा कि 'मैंने उसे समझाया कि ये परीक्षा आखिरी नहीं है, जीवन में आगे कई ऐसे मौके आएंगे, जब आप खुद को टूटा महसूस करोगे. आप को हमेशा ऐसी परिस्थितियों का जमकर मुकाबला करना है.' सुरेंद्र ने कहा कि मेरा बेटा अगले साल फिर से परीक्षा देगा और सफल होगा. उन्होंने माता-पिता को सलाह देते हुए का कि माता-पिता को बच्चों पर दबाव नहीं डालना चाहिए, बल्कि बच्चों को समझाकर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करना चाहिए.