Saturday 10 November 2018

प्यार कभी मरता नहीं...मार दिया जाता है! एक प्यार सी प्रेमकहानी

शाम का समय था कुछ धुधला-धुधला सा दिखाई दे रहा था कुछ लोग मिलकर एक लडकी और एक लडके को बेद़्दी से मार रहे थे |जाति -धर्म के नाम पर लोग एक दूसरे को मार रहे थे | कुछ लोग कह रहे हिन्दू की लडकी से प्यार करोगे तो यही होगा| कुछ लोग कह रहे थे हम राजपूत है और अपनी बेटी को मुस्लमान से शादी नही करने देगे "लाशे बिछा देगे लाशे"| चारो ओर खून से लथपथ लाशे पडी थी|यह सब देखकर रश्मि चीखते हुए जाग जाती है उसके मुँह से सिर्फ यही निकलता है"अली" और वहाँ ए सी होते हुए भी वो पसीने से भीग जाती है| उसकी माँ दौडती हुई आती है और पूछती है बेटी क्या हुआ रश्मि कहती है माँ आज मैने दोबारा वही सपना देखा जो बचपन से देखती आ रही हूँ| साधना जो रश्मि की माँ है वो कहती है कि बेटा ये तो सपना है और सपने कभी सच नही होते| रश्मि जल्दी उठकर नहा ले तब तक मै टेबल पर नाश्ता लगाती हूँ सुबह के 9 बज गए है तुझे रिकाडिग के लिए नही जाना| रश्मि बाथरूम की ओर जाती है और साधना किचन की ओर जाती है मगर रश्मि के दिमाग से वो सपना नही जा रहा था वो जल्दी से नहाकर टेबल पर आ जाती है| जल्दी-जल्दी नाश्ता करके वो अपनी कार से अपने आफिस के लिए निकलती है| रश्मि एक बहुत बडी सिंगर थी ऐसा कोइ नही था जो उसे न जानता हो दिल्ली की हर गली मे उसके फैन थे सबकी जुबान पर रश्मि के गाने थे| रश्मि 22 साल की नौजवान खूबसूरत लडकी थी उसे 2 साल पहले ही गाने का चाँस मिला और उसके बाद उसने कभी पीछे मुडकर नही देखा| अब वो बालीवुड की बेस्ट सिंगर है| उसे पार्टियो में जाना ज्यादा पंसद नही था फिर भी वो अपने फैन्स के लिए कुछ खास पार्टियो मे जाती थी|

रश्मि अपने अॉफिस जाती है जहाँ रश्मि का सेक्रटरी गनपत उसका इंतजार कर रहा था| रश्मि गनपत से पूछती ह़ै कि आज का क्या स्डूयल है| गनपत कहता है कि कुछ गानो की रिकाडिग करनी है और शाम को मल्होत्रा जी के यहाँ जाना है| मल्होत्रा की वजह से ही रश्मि को गाने का चाँस मिला था| फिर से पार्टी, रश्मि कहती है मै पार्टियो मे बोर हो जाती हूँ| गनपत कहता है आप वहाँ चलिए बाकी सब मै सम्भाल लूँगा आप सिर्फ वहाँ जाकर बैठ जाना लोगो को हैंडल करना मुझे आता है| रश्मि कहती है ठीक है पहले रिकार्डिंग कर ले फिर सोचगे क्या करना है| रिकार्डिंग के बाद रश्मि घर जाने से पहले गनपत से कहती है मै घर जा रही हूँ शाम 6 बजे मेरे घर आ जाना वही से पार्टी मे चलेगे| रश्मि और गनपत अपने घर चले जाते है|मगर रश्मि के दिमाग मे दोबारा वही सपना घूमने लगता है| रश्मि अपनी माँ साधना से कहती है माँ इन सब सपनो और अली से मेरा कोइ रिश्ता है तभी बार-बार ये सपने मुझे दिखाई देते है| साधना कहती है ये सिर्फ सपने है और इनका बार-बार आना महज एक इत्तफाक है| मगर साधना मन ही मन इन सपनो को लेकर परेशान थी| वो कहती है बेटा पहले कुछ खालो फिर जो सोचना है सोचती रहना| रश्मि लंच करते हुए कहती है माँ आज रात मल्होत्रा अंकल के घर पार्टी मे जाना है तो मेरे लिए कुछ मत बनाना| लंच के बाद रश्मि बैडरूम मे जाकर लेट जाती है और सो जाती है| जब रश्मि की आँख खुलती है तो शाम के 5 बज चुके थे वो उठकर बाथरूम मे चली जाती है और नहाकर पार्टी के लिए तैयार होने लगती है| हल्का सा मेकअप करके तैयार होकर बाहर आती है| तबतक गनपत आ चुका था और वो हॉल मे बैठा चाय पी रहा था| रश्मि के आते ही गनपत उठता है और कहता है मैडम चले| रश्मि कहती है पहले चाय तो खत्म कर लो फिर आराम से चलेगे मुझे वहाँ जाने की कोई जल्दी नही है| वो कार से धीरे-धीरे मल्होत्रा के फार्म हाऊस की ओर चलते है| थोडी देर मे उनकी कार वहाँ पहुँचती है| पार्टी शुरू हो चुकी थी| मल्होत्रा ने ये पार्टी अपने बेटे करन के लंदन से वापस आने की खुशी मे दी जोकि वहाँ एक बडी बिजनस डील पूरी करके लौटा था| रश्मि पार्टी मे पहुँचती है वहाँ गनपत भी उनके साथ था| पार्टी मे ज्यादा भीड नही थी| पार्टी मे सिर्फ मल्होत्रा के कुछ खास बिजनेस पाटनर और उनक़ा बेटा था| पार्टी मे मल्होेत्रा रश्मि को सबसे मिलवाता है और अंत मे अपने बेटे मिलवाता है वो कहता है"ही इज माइ सन" और करन ये रश्मि इसे तो जानते ही होगे| करन सोचता है "(अपने प्यार को कौन नही पहचानेगा)"| करन अपना हाथ आगे बढाता है और जैसे ही रश्मि का हाथ करन के हाथ से मिलता है रश्मि को झटका सा लगता है| रश्मि को कुछ याद आने लगता है



रश्मि एक राजकुमारी की वेशभूषा मे है और वो अपने रथ पर सैनिको के साथ मंदिर से लौट रही थी कि लुटरो ने रथ को घेर लिया| लुटेरो का सरदार जोर से हँसता हुआ बोला आज तो माल के साथ राजकुमारी भी मिल गई| आज मै राजकुमारी का भोग लगउगा|लुटेरो ने सब सैनिको को मार डाला और राजकुमारी को बंदी बना लिया| अंजलि(राजकुमारी) कहती है मै भी एक राजपूत की बेटी हूँ मै यूहि हार नही मान लूँगी वो लुटेरो से लडने लगती है किंतु ज्यादा समय तक उनका समाना नही कर पाती और जंगल की ओर भागने लगती है| एक लुटेरा कहता है सरदार वो भाग रही है| सरदार कहता भागने दो इस जंगल से भागकर कहाँ जाएगी और सब लुटरे अपने घोडो पर सवार होकर अंजलि के पीछे दौडने लगते है अंत मे एक पहाडी खाई के पास लुटेरे अंजलि को दोबारा घेर लेते है| अंजलि खाई मे कूदने ही वाली थी तभी एक नौजवान उसका हाथ पकडकर अपनी ओर खीच. लेता है और अंजलि को खाई मे कूदने से बचा लेता है|तभी लुटेरे उस नौजवान पर हमला कर देते है वो नौजवान भी उन पर टूट पडता है| कुछ समय तक लुटरो से लडने के बाद लुटेरे नौजवान पर भारी पडने लगते है उस नौजवान का शरीर जश्मी हो गया था एक लुटेरा उस नौजवान के सीने मे भाला मारने वाला ही था कि तभी एक तीर उसके सीने को चीर चुका था| वह तीर राजा के सैनिक ने चलाया था| क्योकि अब राजकुमारी के पिता अपनी सेना के साथ वहाँ पहुँच चुके थे और लुटेरो को सैनिक बंदी बना लेते है वही कुछ लुटेरे भागने मे कामयाब हो जाते है किंतु लुटेरो का सरदार पकडा जाता है| राजा विक्रम सिंह आदेश देते है कि इन सब लुटेरो को बंदीगृह मे डाल दिया जाए और जल्द ही इनको फाँसी के फन्दे पर लटका दिया जाए| राजा विक्रम पुछते है नौजवान तुम कौन हो और कहाँ रहते हो| नौजवान कहता है कि महाराज मेरा नाम अली है और मै पास ही के मुस्लिम गाँव मे रहता हूँ| राजा विक्रम कहते है अली तुमने आज राजमहल की इज्जत बचाई है बोलो तुम्हे क्या चाहिए| अली कहता है महाराज ये तो मेरा कर्तव्य था अब मै चलता हूँ| महाराज कहते की तुम्हे बहुत चोट लगी है तुम महल चलो मै तुम्हारा इलाज शाही वैध से करवाऊगा| वे एक सैनिक को आदेश देते है तुम अली के घर जाओ और उसके घर वालो को अली के महल मे होने की सूचना दो यदि उन्हे कोइ परेशानी हो तो उसका निवारण करो| यह कहकर राजा अंजलि और अली को लेकर महल की ओर प्रस्थान करते है| महल पहुँचकर अली का इलाज शुरू हो जाता है| परन्तु इन सब घटनाओ के बीच अंजलि और अली एक दूसरे से प्यार करने लगते है| वे महल के कभी किसी कोने तो कभी अंजलि के शयनकक्ष मिलते और प्यार भरी बाते करते ये सब यूहि चलता रहा| कुछ दिनो बाद अली पूर्णतया स्वस्थ हो गया परन्तु उन दोनो का मिलना-जुलना बंद नही हुआ वे मंदिर के पीछे मिलने आते थे| एक दिन एक लुटेरे ने ये सब देख लिया उसने तुरन्त इसकी सूचना राजदरबार मे पहुँचा दी जब इस बात की सूचना राजा को मिली तो राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और जल्द से जल्द अंजलि के लिए लडका खोजने के लिए कहा| मंत्री ने कहा जैसा महाराज ने कहा वैसा ही होगा| मंत्रीे जल्दी ही पास के राज्य के राजकुमार का रिश्ता ले आए और महाराज के हुक्म से ये रिश्ता पक्का हो गया| कुछ दिन बाद शादी का मुहुर्त निकला| ये रिश्ता अंजलि को मंजूर न था इसलिए उसने अपनी दासी से यह संदेश अली को भेजा कि "अली मै शादी करूगी तो तुमसे करूगी वरना मै जहर खाकर जान दे दूँगी"| अली उस दासी से कहता है तुम कल शाम को अंजलि के साथ मंदिर आ जाना हम वही शादी कर लेगे| तुम सिर्फ उसे ले आना बाकी तैयारी मै खुद कर लूगा|एक लुटेरे ने उन दोनो की बात सुन ली और यह खबर राजमहल और अली के गाँव मे पहुँचा दी|शाम के समय अली मंदिर मे शादी की तैयारी करके अंजलि का इंतजार कर रहा था| कुछ देर मे अंजलि मंदिर पहुँचती हैऔर शादी के मंत्रोच्चारण शुरू होते है मगर उसी समय एक ओर से राजा के सैनिक और दूसरी ओर से गाँव के मुस्लमान मंदिर पहुँच जाते है|हिन्दूओ का कहना था कि मुस्लमानो ने हमारी बेटी को बहला फुसलाकर शादी के लिए राजी कर लिया है मुस्लमानो का कहना था कि हिन्दूओ ने हमारे बेटे को फँसा लिया है| उन दोनो का कहना था कि हम ये धर्म विरोधी शादी नही होने देगे|
इस तरह हिन्दू मुस्लमान की लडाई शुरू हो जाती है लोग एक दूसरे को मारने लगते है| अली और अंजलि की शादी होते देख कुछ लोग उनकी तरफ बढते है और उन दोनो को डण्डो से पीटने लगते है|अली अंजलि और स्वयं को बचाने की कोशिश करने लगता है उसी कोशिश मे वो खडा हो जाता उसी समय एक आदमी ने भाला फेककर अली को मारा जोकि अली के पेट मे घुस गया और उसके हाथ का मंगलसूत्र उडते हुए एक पेड पर जा टँगा| उन लोगो ने अंजलि और अली को पीट-पीटकर मार डाला | वो मंगलसूत्र उसी पेड पर टँगा था| रश्मि को सबसे ज्यादा हैरानी इस बात से थी कि अंजलि का चेहरा रश्मि से और अली का चेहरा करन से हूबहु मिलता है| रश्मि को सब बाते समझ आ चुकी थी| अब रश्मि को अपने सपनो का सच पता चल चुका था|उसी समय करन रश्मि को हिलाते हुए कहता है रश्मि मेरा हाथ छोडने का मन नही है क्या?रश्मि असहज महसूस करते हुए कहती है ऐसी कोई बात नही है और जाकर गनपत के साथ चेयर पर बैठ गई|कुछ देर बाद रश्मि अपने घर चली गई और गनपत अपने घर चला गया| रश्मि ये तो जानती थी कि करन उससे प्यार करता है मगर उससे प्यार का इजहार कैसे करे यही सोच रही थी|



Monday 30 April 2018

"दिल के करीब"(एक अधूरी दास्ताँ)The Real Story Of My Life.






नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ , जिसका शीर्षक "दिल के करीब-एक अधूरी दास्ताँ" है! जो की मेरे जीवन में समय अनुसार घट चुकी है , हो सकता है यह सायद आपके जीवन में कभी न कभी जरूर घटी हो. 
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दोस्तों मै भोपाल के डयनामिक पब्लिक स्कूल में पढता था मुझे यहां से बहुत कुछ सीखने को मिला और मुझे बहुत सारे दोस्त मिले  जैसे-  सुनील , दीपक , संकर , नीलेश , पंकच और भी बहुत सारे दोस्त  साथ में कुछ लड़कियाँ  भी मिली जो  मेरी  अच्छी दोस्त हुआ करती थी लेकिन जब से स्कूल के बाद कॉलेज में आये है सब अलग अलग हो गए दोस्तों अब में आप सभी को बहुत याद करता हूँ इसलिए यह में लेख लिख रहा हूँ जिससे आपकि भी यादे ताज़ी हो जाएगी!  दोस्तों यदि आपको यह अच्छा लगे तो जरूर शेयर करेt





चलिए दोस्तों अब में आता हूँ अपनी कहानी पर! 


दोस्तों यह उन दिनों की बात है , जब मेरी उम्र महज 13-14 साल के लगभग थी , तब में अपने गांव से आठवीं पास करके यहां भोपाल नवमी क्लास में पढने आया था और उस समय में गांव से भोपाल पहली बार आया था! पढ़ने के लिए , दोस्तों मेरा स्कूल का पहला दिन बहुत अच्छा रहा लेकिन मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था क्यूंकि मुझे अपनी  मातृभाषा यानि गांव की बोली ही बोलना आती थी बाकी  हिंदी में बात करने में घबराहट सी होती थी साथ में  इंग्लिश तो बिलकुल भी नहीं आती थी  इसलिए मेरी किसी से भी बात करने की इच्छा नहीं हो रही थी और  कोई भी मुझसे दोस्ती नहीं करना चाह रहे थे , तो में बहुत निराश था और क्लास की फर्स्ट बेंच पर बैठा था , लेकिन किसी की पहले दोस्ती ने पूरे दिन को अच्छा और खुशमय बना दिया था!  


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जिस दिन मेरा पहला दिन था उसदिन हमारी ही क्लास में एक लड़की का बर्थडे था , तो  वह लड़की  सबसे पहले क्लास टीचर के पास गयी चोकलेट लेकर , में देखता रहा लेकिन कुछ समझ नहीं पा रहा था क्यूंकि पहली बार जो देख रहा था बस अपने मन में सोच रहा था की  ऐसा क्यों हो रहा है और क्या कर रहे यह सब में अच्छे से देख रहा था उस लड़की को ,  सबको चोकलेट देना और बाद में थेंक्स  बोलना , फिर पता चला की उस लड़की का बर्थडे है ! 








अब जो आपको बताने वाला हूँ  यह बहुत इंट्रेस्टिंग है हुआ यूँ  की वह लड़की मेरे पास आयी और कहने लगी तुम्हारा पहला दिन है , नए आये हो , और नाम पुछा- तो मेने कहा- हाँ आज  पहला दिन है और अपना नाम (सरमाते हुए ) बताया दिया सोनू!  फिर उसने कहा कोई बात नहीं , और अपना हाथ आगे बढ़ाते बोली  मेरा बर्थडे है यार मुझे विश तो करों .....लेकिन मै फिर भी नहीं समझ पा रहा था क्यूंकि उसने इंग्लिश में विश करना जो बोल दिया था! में बस उसकि  और देखे जा  रहा था , तभी मेने lदेखा की वो  अपना हाथ आगे बढ़ते हुए मिलाने को  कह रही है तो मेने झट से उसका हाथ पकड़ा मतलब सेकहैंड किया और जोर से उसकी नाजुक हथेली को दबा दिया क्यूंकि पहली बार किसी लड़की का हाथ छुआ था और पता भी नहीं था की कितने नाज़ुक और मुलायम होते है लड़कियों के हाथ!


 अब जो हुआ वो तो में कभी भूल ही नहीं सकता. क्युकी अब वह जोर से बोली छोड़ो यार सोनू.... मेरा हाथ क्या कर रहे हो , फिर मेने माफ़ी मांगी और तभी वह बोली कोई बात नहीं दोस्ती में इतना तो चलता है फिर मेने हिंदी में बोला जन्मदिन की बहुत बधाई! तभी..वह थोड़ा सा हंसने लगी और हंसते हुए ही  जैसे वह सबको बोली थी ऐसे ही मुझसे भी बोल दिया-  थैंक्स! तब से मुझे थैंक्स और सॉरी कहने का एह्सास हुआ!

दोस्तों अब मैं अपनी कहानी को आगे बताता हूँ-

जिस लड़की से मेरी दोस्ती हुई थी वह अभी वर्तमान में भले ही मेरे साथ नहीं है , लेकिन वह  मेरे दिल के बहुत करीब है में उसका नाम जाहिर नहीं कर सकता हूँ इसलिये  मै आपको उसका काल्पनिक नाम अंजलि बता रहा हूँ!




उन दिनों मेरी अंजलि के साथ दिनप्रतिदिन अच्छी दोस्ती होती जा रही थी! हम एक दूसरे की मदद करते थे जैसे होमवर्क करना या पढाई करते वक्त छोटी बड़ी जरूरत आदि इस बीच हम बाते करते थे कभी इशारों में तो कभी बोलचाल में हम दोनो अच्छे से एक दूसरे को जानने लगे थे! उस समय मेंरी लगभग सभी क्लास के बच्चों से और  मेरे सहपाठियों से अच्छे से मित्रता हो गयी थी , लेकिन मै अपने दोस्तों के साथ लास्ट बैंच पर कभी नहीं बैठा में हमेशा सबसे आगे वाली बेंच पर बैठता था , क्यूंकि अंजलि भी आगे ही बैठती थी , मुझे उससे बात करना और , बार बार देखना मुझे अच्छा लगता  था!

जिसके कारन  मेरे दोस्तों ने मुझसे बात करना कम कर दिया था! तो मेने भी उनसे बात करना कम कर दिया था! बस मेने उस समय एक दोस्त बनाया था जो वर्तमान अभी भी मेरे साथ है जिसका नाम सुनील है! 

हमारी ऐसी स्टोरी लगभग नवमी क्लास के आखरी पेपर तक चली और हमारी बाते वो तो कभी  ख़त्म नहीं हुई थी! जब लास्ट पेपर था तब उसने बताया की गर्मी की छुट्टियों में , वह  बहार जा रही है  अपनी नानी के यहां! फिर मेने भी कहl हाँ ठीक है में भी जाऊँगा अपने गांव  , तभी उसने कहा हम दूर रहकर भी बात कर सकते है , मेने कहा हाँ जरूर कर सकते है लेकिन उस समय हमारे पास कोई फोन नहीं था बस घर वालों के पास था! 

दोस्तों यहां पर मेरे दोस्त सुनील ने मेरी बहित मदद की और हम दोनों ने  एक आईडिया लगाया और सिम खरीद के देदी अपने डॉक्यूमेंट से ताकि हम बात कर सके फिर मै गांव आ गया था! फिर हम फोन पर  बात करने लगे थे!




लेकिन मेने उससे इतने दिन तक बात करने पर भी उसे अपने दिल की बात नहीं बतायी थी न उसने और ना ही मेने  क्यूंकि हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त मानते थे!

जब गर्मियों की छुट्टियां ख़त्म हो गयी थी तब में वापिस गांव से भोपाल आ गया था! और अपनी दसवीं की पढाई की शुरुआत हो गयी थी! लेकिन मेने दसवीं में पास होने के लिए अपनी दोस्त यानी अंजलि से बात करना कम कर दिया और अपना पूरा फोकस अपनी पढाई पर लगाया. 

इस बीच हमारे स्कूल में एनुअल फंक्शन का प्रोग्रेम भी चला था दोस्तों वो प्रोग्रेम हमारे लिए बहुत अच्छा रहा! अंजलि ने प्रोग्रेम में डांस में भाग लिया था , तो में उसके साथ अधिक रहता था मेने उसके बहुत सारे अच्छे फोटो भी क्लिक किये थे जो की बहुत अच्छे थे! दोस्तों सायद यह प्रोग्राम हमारे लिए आखरी था! फिर वह प्रोग्राम ख़त्म हो जाता है इसके बाद वापिस हम अपनी पढाई पर ध्यान देने लग गए थे! 


मेने पूरे मन लगा कर अपनी पढाई की और दसवीं क्लास में अच्छे अंको से पास हुआ था , लेकिन अंजलि के एक विषय में सप्प्लिमेंट्री आ गयी थी तो उसने स्कूल आना बंद कर दिया था दिया था और हमारी बाते भी नहीं हो पा रही थी तब में बिलकुल अकेला महसूस कर रहा था क्यूंकि मुझे ऐसा लगा की में उसे दिल से चाहने लगा था लेकिन मेने कभी भी उसे अपने दिल की बात नहीं बताई और मेने अपनी ग्यारवी क्लास ऐसे ही निकल दी उसका इन्जार करने में निकल दिया , लेकिन मुझे वो तब मिली जब हमारे ग्यारवी के एग्जाम हुए- मेने उससे बात करने की बहुत कोशिश की  लेकिन मै कहे नहीं पाया और उसने भी मुझे इग्नोर कर दिया ..मुझे बिकुल भी अच्छा नहीं लगा था में बहुत दुखी हुआ , क्यूंकि में उसके बारे में कुछ अधिक ही सोचने लगा था! 


अब दोस्तों इस कहानी की आखरी कड़ी है  वो वह  चिंगारी जो सायद आज भी मेरे सीने भी भड़क रही है! दोस्तों यह उस दिन की बात है जब अंजलि मुझे बाहरवीं क्लास में मिली तब मेने उससे बात की ...और कहा की में तुम्हे बहुत पसंद करने लगा हूँ और मेने उसको प्रोपोज़ किया उसका हाथ शेकहैंड करते हुए अपने दिल की बार बोली लेकिन उस समय कुछ ऐसा हुआ सायद जिसकी वजह से में आज तक दोबारा नहीं मिली लेकिन आज भी वह मेरे दिल के बहुत करीब है!  





दोस्तों उस दिन मेने  जैसे ही उसे  I Love You  बोला   तो उसने मुझे बढ़े ही प्यार से कहा ..देखो सोनू अपन दोनों अच्छे दोस्त है तुम जैसा सोच रहे हो वैसा हो नहीं सकता क्यूंकि मेरे पहले से बॉयफ्रैंड है में तो बस तुम्हे अच्छा दोस्त मानती हूँ और अब कभी तुम से बात नहीं करूंगी! 

दोस्तों इतना कहा उसने मेरे दिल के चीथड़े  चीथड़े उड़ गए थे क्यूंकि दोस्तों वह मेरे ज़िंदगी का पहला प्यार था! वो आज भले भी मेरे साथ नहीं है लेकिन वह दिल के बहुत करीब है जिसे में सायद ही कभी निकल पाऊँ!


  •  दोस्तों अब आप ही बातओं मेने कोई गलत किया जो उसे तीन साल बाद बताया और मुझे यह देखने को मिला!  क्या मुझे यह सब पहले ही बोल देना चाहिए था हाँ या नहीं आप जरूर बताये 

Note-  दोस्तों यदि मुझसे लिखने में कोई गलती हुए हो तो मुझे माफ़ करे ..धन्यवाद  

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Sunday 8 April 2018