नमस्कार दोस्तों आज की पोस्ट में आपके लिए एक कहानी लेकर आया हूँ , जिसका शीर्षक "दिल के करीब-एक अधूरी दास्ताँ" है! जो की मेरे जीवन में समय अनुसार घट चुकी है , हो सकता है यह सायद आपके जीवन में कभी न कभी जरूर घटी हो.
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दोस्तों मै भोपाल के डयनामिक पब्लिक स्कूल में पढता था मुझे यहां से बहुत कुछ सीखने को मिला और मुझे बहुत सारे दोस्त मिले जैसे- सुनील , दीपक , संकर , नीलेश , पंकच और भी बहुत सारे दोस्त साथ में कुछ लड़कियाँ भी मिली जो मेरी अच्छी दोस्त हुआ करती थी लेकिन जब से स्कूल के बाद कॉलेज में आये है सब अलग अलग हो गए दोस्तों अब में आप सभी को बहुत याद करता हूँ इसलिए यह में लेख लिख रहा हूँ जिससे आपकि भी यादे ताज़ी हो जाएगी! दोस्तों यदि आपको यह अच्छा लगे तो जरूर शेयर करेt
चलिए दोस्तों अब में आता हूँ अपनी कहानी पर!
दोस्तों यह उन दिनों की बात है , जब मेरी उम्र महज 13-14 साल के लगभग थी , तब में अपने गांव से आठवीं पास करके यहां भोपाल नवमी क्लास में पढने आया था और उस समय में गांव से भोपाल पहली बार आया था! पढ़ने के लिए , दोस्तों मेरा स्कूल का पहला दिन बहुत अच्छा रहा लेकिन मुझे थोड़ा अजीब लग रहा था क्यूंकि मुझे अपनी मातृभाषा यानि गांव की बोली ही बोलना आती थी बाकी हिंदी में बात करने में घबराहट सी होती थी साथ में इंग्लिश तो बिलकुल भी नहीं आती थी इसलिए मेरी किसी से भी बात करने की इच्छा नहीं हो रही थी और कोई भी मुझसे दोस्ती नहीं करना चाह रहे थे , तो में बहुत निराश था और क्लास की फर्स्ट बेंच पर बैठा था , लेकिन किसी की पहले दोस्ती ने पूरे दिन को अच्छा और खुशमय बना दिया था!
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जिस दिन मेरा पहला दिन था उसदिन हमारी ही क्लास में एक लड़की का बर्थडे था , तो वह लड़की सबसे पहले क्लास टीचर के पास गयी चोकलेट लेकर , में देखता रहा लेकिन कुछ समझ नहीं पा रहा था क्यूंकि पहली बार जो देख रहा था बस अपने मन में सोच रहा था की ऐसा क्यों हो रहा है और क्या कर रहे यह सब में अच्छे से देख रहा था उस लड़की को , सबको चोकलेट देना और बाद में थेंक्स बोलना , फिर पता चला की उस लड़की का बर्थडे है !
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जिस दिन मेरा पहला दिन था उसदिन हमारी ही क्लास में एक लड़की का बर्थडे था , तो वह लड़की सबसे पहले क्लास टीचर के पास गयी चोकलेट लेकर , में देखता रहा लेकिन कुछ समझ नहीं पा रहा था क्यूंकि पहली बार जो देख रहा था बस अपने मन में सोच रहा था की ऐसा क्यों हो रहा है और क्या कर रहे यह सब में अच्छे से देख रहा था उस लड़की को , सबको चोकलेट देना और बाद में थेंक्स बोलना , फिर पता चला की उस लड़की का बर्थडे है !
अब जो आपको बताने वाला हूँ यह बहुत इंट्रेस्टिंग है हुआ यूँ की वह लड़की मेरे पास आयी और कहने लगी तुम्हारा पहला दिन है , नए आये हो , और नाम पुछा- तो मेने कहा- हाँ आज पहला दिन है और अपना नाम (सरमाते हुए ) बताया दिया सोनू! फिर उसने कहा कोई बात नहीं , और अपना हाथ आगे बढ़ाते बोली मेरा बर्थडे है यार मुझे विश तो करों .....लेकिन मै फिर भी नहीं समझ पा रहा था क्यूंकि उसने इंग्लिश में विश करना जो बोल दिया था! में बस उसकि और देखे जा रहा था , तभी मेने lदेखा की वो अपना हाथ आगे बढ़ते हुए मिलाने को कह रही है तो मेने झट से उसका हाथ पकड़ा मतलब सेकहैंड किया और जोर से उसकी नाजुक हथेली को दबा दिया क्यूंकि पहली बार किसी लड़की का हाथ छुआ था और पता भी नहीं था की कितने नाज़ुक और मुलायम होते है लड़कियों के हाथ!
अब जो हुआ वो तो में कभी भूल ही नहीं सकता. क्युकी अब वह जोर से बोली छोड़ो यार सोनू.... मेरा हाथ क्या कर रहे हो , फिर मेने माफ़ी मांगी और तभी वह बोली कोई बात नहीं दोस्ती में इतना तो चलता है फिर मेने हिंदी में बोला जन्मदिन की बहुत बधाई! तभी..वह थोड़ा सा हंसने लगी और हंसते हुए ही जैसे वह सबको बोली थी ऐसे ही मुझसे भी बोल दिया- थैंक्स! तब से मुझे थैंक्स और सॉरी कहने का एह्सास हुआ!
दोस्तों अब मैं अपनी कहानी को आगे बताता हूँ-
जिस लड़की से मेरी दोस्ती हुई थी वह अभी वर्तमान में भले ही मेरे साथ नहीं है , लेकिन वह मेरे दिल के बहुत करीब है में उसका नाम जाहिर नहीं कर सकता हूँ इसलिये मै आपको उसका काल्पनिक नाम अंजलि बता रहा हूँ!
उन दिनों मेरी अंजलि के साथ दिनप्रतिदिन अच्छी दोस्ती होती जा रही थी! हम एक दूसरे की मदद करते थे जैसे होमवर्क करना या पढाई करते वक्त छोटी बड़ी जरूरत आदि इस बीच हम बाते करते थे कभी इशारों में तो कभी बोलचाल में हम दोनो अच्छे से एक दूसरे को जानने लगे थे! उस समय मेंरी लगभग सभी क्लास के बच्चों से और मेरे सहपाठियों से अच्छे से मित्रता हो गयी थी , लेकिन मै अपने दोस्तों के साथ लास्ट बैंच पर कभी नहीं बैठा में हमेशा सबसे आगे वाली बेंच पर बैठता था , क्यूंकि अंजलि भी आगे ही बैठती थी , मुझे उससे बात करना और , बार बार देखना मुझे अच्छा लगता था!
जिसके कारन मेरे दोस्तों ने मुझसे बात करना कम कर दिया था! तो मेने भी उनसे बात करना कम कर दिया था! बस मेने उस समय एक दोस्त बनाया था जो वर्तमान अभी भी मेरे साथ है जिसका नाम सुनील है!
हमारी ऐसी स्टोरी लगभग नवमी क्लास के आखरी पेपर तक चली और हमारी बाते वो तो कभी ख़त्म नहीं हुई थी! जब लास्ट पेपर था तब उसने बताया की गर्मी की छुट्टियों में , वह बहार जा रही है अपनी नानी के यहां! फिर मेने भी कहl हाँ ठीक है में भी जाऊँगा अपने गांव , तभी उसने कहा हम दूर रहकर भी बात कर सकते है , मेने कहा हाँ जरूर कर सकते है लेकिन उस समय हमारे पास कोई फोन नहीं था बस घर वालों के पास था!
दोस्तों यहां पर मेरे दोस्त सुनील ने मेरी बहित मदद की और हम दोनों ने एक आईडिया लगाया और सिम खरीद के देदी अपने डॉक्यूमेंट से ताकि हम बात कर सके फिर मै गांव आ गया था! फिर हम फोन पर बात करने लगे थे!
लेकिन मेने उससे इतने दिन तक बात करने पर भी उसे अपने दिल की बात नहीं बतायी थी न उसने और ना ही मेने क्यूंकि हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त मानते थे!
जब गर्मियों की छुट्टियां ख़त्म हो गयी थी तब में वापिस गांव से भोपाल आ गया था! और अपनी दसवीं की पढाई की शुरुआत हो गयी थी! लेकिन मेने दसवीं में पास होने के लिए अपनी दोस्त यानी अंजलि से बात करना कम कर दिया और अपना पूरा फोकस अपनी पढाई पर लगाया.
इस बीच हमारे स्कूल में एनुअल फंक्शन का प्रोग्रेम भी चला था दोस्तों वो प्रोग्रेम हमारे लिए बहुत अच्छा रहा! अंजलि ने प्रोग्रेम में डांस में भाग लिया था , तो में उसके साथ अधिक रहता था मेने उसके बहुत सारे अच्छे फोटो भी क्लिक किये थे जो की बहुत अच्छे थे! दोस्तों सायद यह प्रोग्राम हमारे लिए आखरी था! फिर वह प्रोग्राम ख़त्म हो जाता है इसके बाद वापिस हम अपनी पढाई पर ध्यान देने लग गए थे!
मेने पूरे मन लगा कर अपनी पढाई की और दसवीं क्लास में अच्छे अंको से पास हुआ था , लेकिन अंजलि के एक विषय में सप्प्लिमेंट्री आ गयी थी तो उसने स्कूल आना बंद कर दिया था दिया था और हमारी बाते भी नहीं हो पा रही थी तब में बिलकुल अकेला महसूस कर रहा था क्यूंकि मुझे ऐसा लगा की में उसे दिल से चाहने लगा था लेकिन मेने कभी भी उसे अपने दिल की बात नहीं बताई और मेने अपनी ग्यारवी क्लास ऐसे ही निकल दी उसका इन्जार करने में निकल दिया , लेकिन मुझे वो तब मिली जब हमारे ग्यारवी के एग्जाम हुए- मेने उससे बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन मै कहे नहीं पाया और उसने भी मुझे इग्नोर कर दिया ..मुझे बिकुल भी अच्छा नहीं लगा था में बहुत दुखी हुआ , क्यूंकि में उसके बारे में कुछ अधिक ही सोचने लगा था!
अब दोस्तों इस कहानी की आखरी कड़ी है वो वह चिंगारी जो सायद आज भी मेरे सीने भी भड़क रही है! दोस्तों यह उस दिन की बात है जब अंजलि मुझे बाहरवीं क्लास में मिली तब मेने उससे बात की ...और कहा की में तुम्हे बहुत पसंद करने लगा हूँ और मेने उसको प्रोपोज़ किया उसका हाथ शेकहैंड करते हुए अपने दिल की बार बोली लेकिन उस समय कुछ ऐसा हुआ सायद जिसकी वजह से में आज तक दोबारा नहीं मिली लेकिन आज भी वह मेरे दिल के बहुत करीब है!
दोस्तों उस दिन मेने जैसे ही उसे I Love You बोला तो उसने मुझे बढ़े ही प्यार से कहा ..देखो सोनू अपन दोनों अच्छे दोस्त है तुम जैसा सोच रहे हो वैसा हो नहीं सकता क्यूंकि मेरे पहले से बॉयफ्रैंड है में तो बस तुम्हे अच्छा दोस्त मानती हूँ और अब कभी तुम से बात नहीं करूंगी!
दोस्तों इतना कहा उसने मेरे दिल के चीथड़े चीथड़े उड़ गए थे क्यूंकि दोस्तों वह मेरे ज़िंदगी का पहला प्यार था! वो आज भले भी मेरे साथ नहीं है लेकिन वह दिल के बहुत करीब है जिसे में सायद ही कभी निकल पाऊँ!
Note- दोस्तों यदि मुझसे लिखने में कोई गलती हुए हो तो मुझे माफ़ करे ..धन्यवाद
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अब जो हुआ वो तो में कभी भूल ही नहीं सकता. क्युकी अब वह जोर से बोली छोड़ो यार सोनू.... मेरा हाथ क्या कर रहे हो , फिर मेने माफ़ी मांगी और तभी वह बोली कोई बात नहीं दोस्ती में इतना तो चलता है फिर मेने हिंदी में बोला जन्मदिन की बहुत बधाई! तभी..वह थोड़ा सा हंसने लगी और हंसते हुए ही जैसे वह सबको बोली थी ऐसे ही मुझसे भी बोल दिया- थैंक्स! तब से मुझे थैंक्स और सॉरी कहने का एह्सास हुआ!
दोस्तों अब मैं अपनी कहानी को आगे बताता हूँ-
जिस लड़की से मेरी दोस्ती हुई थी वह अभी वर्तमान में भले ही मेरे साथ नहीं है , लेकिन वह मेरे दिल के बहुत करीब है में उसका नाम जाहिर नहीं कर सकता हूँ इसलिये मै आपको उसका काल्पनिक नाम अंजलि बता रहा हूँ!
उन दिनों मेरी अंजलि के साथ दिनप्रतिदिन अच्छी दोस्ती होती जा रही थी! हम एक दूसरे की मदद करते थे जैसे होमवर्क करना या पढाई करते वक्त छोटी बड़ी जरूरत आदि इस बीच हम बाते करते थे कभी इशारों में तो कभी बोलचाल में हम दोनो अच्छे से एक दूसरे को जानने लगे थे! उस समय मेंरी लगभग सभी क्लास के बच्चों से और मेरे सहपाठियों से अच्छे से मित्रता हो गयी थी , लेकिन मै अपने दोस्तों के साथ लास्ट बैंच पर कभी नहीं बैठा में हमेशा सबसे आगे वाली बेंच पर बैठता था , क्यूंकि अंजलि भी आगे ही बैठती थी , मुझे उससे बात करना और , बार बार देखना मुझे अच्छा लगता था!
जिसके कारन मेरे दोस्तों ने मुझसे बात करना कम कर दिया था! तो मेने भी उनसे बात करना कम कर दिया था! बस मेने उस समय एक दोस्त बनाया था जो वर्तमान अभी भी मेरे साथ है जिसका नाम सुनील है!
हमारी ऐसी स्टोरी लगभग नवमी क्लास के आखरी पेपर तक चली और हमारी बाते वो तो कभी ख़त्म नहीं हुई थी! जब लास्ट पेपर था तब उसने बताया की गर्मी की छुट्टियों में , वह बहार जा रही है अपनी नानी के यहां! फिर मेने भी कहl हाँ ठीक है में भी जाऊँगा अपने गांव , तभी उसने कहा हम दूर रहकर भी बात कर सकते है , मेने कहा हाँ जरूर कर सकते है लेकिन उस समय हमारे पास कोई फोन नहीं था बस घर वालों के पास था!
दोस्तों यहां पर मेरे दोस्त सुनील ने मेरी बहित मदद की और हम दोनों ने एक आईडिया लगाया और सिम खरीद के देदी अपने डॉक्यूमेंट से ताकि हम बात कर सके फिर मै गांव आ गया था! फिर हम फोन पर बात करने लगे थे!
लेकिन मेने उससे इतने दिन तक बात करने पर भी उसे अपने दिल की बात नहीं बतायी थी न उसने और ना ही मेने क्यूंकि हम एक दूसरे के अच्छे दोस्त मानते थे!
जब गर्मियों की छुट्टियां ख़त्म हो गयी थी तब में वापिस गांव से भोपाल आ गया था! और अपनी दसवीं की पढाई की शुरुआत हो गयी थी! लेकिन मेने दसवीं में पास होने के लिए अपनी दोस्त यानी अंजलि से बात करना कम कर दिया और अपना पूरा फोकस अपनी पढाई पर लगाया.
इस बीच हमारे स्कूल में एनुअल फंक्शन का प्रोग्रेम भी चला था दोस्तों वो प्रोग्रेम हमारे लिए बहुत अच्छा रहा! अंजलि ने प्रोग्रेम में डांस में भाग लिया था , तो में उसके साथ अधिक रहता था मेने उसके बहुत सारे अच्छे फोटो भी क्लिक किये थे जो की बहुत अच्छे थे! दोस्तों सायद यह प्रोग्राम हमारे लिए आखरी था! फिर वह प्रोग्राम ख़त्म हो जाता है इसके बाद वापिस हम अपनी पढाई पर ध्यान देने लग गए थे!
मेने पूरे मन लगा कर अपनी पढाई की और दसवीं क्लास में अच्छे अंको से पास हुआ था , लेकिन अंजलि के एक विषय में सप्प्लिमेंट्री आ गयी थी तो उसने स्कूल आना बंद कर दिया था दिया था और हमारी बाते भी नहीं हो पा रही थी तब में बिलकुल अकेला महसूस कर रहा था क्यूंकि मुझे ऐसा लगा की में उसे दिल से चाहने लगा था लेकिन मेने कभी भी उसे अपने दिल की बात नहीं बताई और मेने अपनी ग्यारवी क्लास ऐसे ही निकल दी उसका इन्जार करने में निकल दिया , लेकिन मुझे वो तब मिली जब हमारे ग्यारवी के एग्जाम हुए- मेने उससे बात करने की बहुत कोशिश की लेकिन मै कहे नहीं पाया और उसने भी मुझे इग्नोर कर दिया ..मुझे बिकुल भी अच्छा नहीं लगा था में बहुत दुखी हुआ , क्यूंकि में उसके बारे में कुछ अधिक ही सोचने लगा था!
अब दोस्तों इस कहानी की आखरी कड़ी है वो वह चिंगारी जो सायद आज भी मेरे सीने भी भड़क रही है! दोस्तों यह उस दिन की बात है जब अंजलि मुझे बाहरवीं क्लास में मिली तब मेने उससे बात की ...और कहा की में तुम्हे बहुत पसंद करने लगा हूँ और मेने उसको प्रोपोज़ किया उसका हाथ शेकहैंड करते हुए अपने दिल की बार बोली लेकिन उस समय कुछ ऐसा हुआ सायद जिसकी वजह से में आज तक दोबारा नहीं मिली लेकिन आज भी वह मेरे दिल के बहुत करीब है!
दोस्तों उस दिन मेने जैसे ही उसे I Love You बोला तो उसने मुझे बढ़े ही प्यार से कहा ..देखो सोनू अपन दोनों अच्छे दोस्त है तुम जैसा सोच रहे हो वैसा हो नहीं सकता क्यूंकि मेरे पहले से बॉयफ्रैंड है में तो बस तुम्हे अच्छा दोस्त मानती हूँ और अब कभी तुम से बात नहीं करूंगी!
दोस्तों इतना कहा उसने मेरे दिल के चीथड़े चीथड़े उड़ गए थे क्यूंकि दोस्तों वह मेरे ज़िंदगी का पहला प्यार था! वो आज भले भी मेरे साथ नहीं है लेकिन वह दिल के बहुत करीब है जिसे में सायद ही कभी निकल पाऊँ!
- दोस्तों अब आप ही बातओं मेने कोई गलत किया जो उसे तीन साल बाद बताया और मुझे यह देखने को मिला! क्या मुझे यह सब पहले ही बोल देना चाहिए था हाँ या नहीं आप जरूर बताये
Note- दोस्तों यदि मुझसे लिखने में कोई गलती हुए हो तो मुझे माफ़ करे ..धन्यवाद
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