Monday 20 August 2018

Collage bench. The untold love story In hindi





मेरा नाम सोनू है
आज मै बहुत खुश हु , और में खुश इसलिए हूँ क्यूंकि में आज से स्कूल को बाय बोल कर अब मेने कॉलेज को हाई बोल दिय है!! मतलब में अब कॉलेज जाने लगा और कॉलेज का पहले दिन जिसका सब इन्तजार करते है वो दिन आ ही गया .....दोस्तों यह तो मेरा एंटरवाल था लेकिन आपको आज जो कहानी बताने जा रहा वह एक लड़का जिसका नाम है प्रेम और लड़की जिसका नाम है  प्रीत क्या आपको पता इन दो दिलो की दोस्ती कैसे होगी तो जानने के लिए मेरे साथ बने रहे और पढ़ते रहे हमारी कहानी collage bench the untold love story .....Thanks


दोस्तों यहाँ पर मेरे जैसे इन दोनो की  भी शुरुआत हो रही है जो कुछ इस प्रकार है!
आज मेरा कॉलेज का पहला दिन है। हर एक लड़के/लड़की के लिए ये दिन बहुत ही मायने रखते हैं।

जब स्कूल के बंदिश भरे माहौल से निकलकर हम कॉलेज की तरफ जाते हैं तो पहले दिन का क्रेज ही अलग होता है।

हम जैसे आज़ाद पंछी बन जाते हैं। हमारे पंख उग आते हैं और हम जी भरकर उड़ना चाहते हैं। मेरे मन में भी आज बहुत उथल पुथल मची हुए है। पूरी रात इसी उल्लास में सो नहीं सका
के कल मेरी कॉलेज का आज़ाद ज़िन्दगी सुरु हो जाएगी। मेरे से २ साल बड़े मेरे ताऊ जी के लड़के ने कई बार मेरे से अपने कॉलेज के अनुभव साझे किये थे।


के कॉलेज में कोए रोकने टोकने वाला नहीं होता है। मुझे कॉलेज के बारे में सबसे अच्छी बात यही
लगती थी के वहा लडकियों को जी भर के फ़्लर्ट करूंगा एक अच्छी सी गर्लफ्रेंड बनाऊंगा उसके साथ घुमुंगा फिरूंगा ऐश करूँगा।

सुबह तैयार होक सबसे आशीर्वाद लेके अपनी बाइक लेके मै कॉलेज के लिए निकल पडा।
कॉलेज में पहुंचा तो सबसे पहले तो मै वहा का माहौल देखकर घबराने लगा ,
नए लोग नया माहौल।


मै वहा का मुआयना कर ही रहा था के पीछे से एक मधुर आवाज़ ने मेरा ध्यान अपनी और खींचा।
"एक्स क्युज मी" !
मैंने पीछे पलटकर देखा तो देखता ही रह गया।
क्या बला है है यार लम्बे - लम्बे बाल , सेब जैसे गाल ,
बहुत खूबसूरत आँखे पतले पतले होंठ , मासूम सा चहरा
और पिंक कलर का सूट सलवार ऐसे गजब धा रहा था के देखने वाले बस अपनी जगह रूककर
उसे ही देखने लग जाए , मै तो उसमे ऐसा खोया के होश भूल गया।
वो दुबारा बोली हेल्लो

" क्या आप मुझे बता सकते हैं के कॉमर्स की फर्स्ट इयर की क्लासेज कहा लगती हैं "
मै एक दम से होश में आया , अब जाना तो मुझे भी वोही था , मै भी कॉमर्स का स्टूडेंट हु।
परन्तु कॉलेज का पहला दिन ,उसका भी शायद पहला ही है ,
मैंने कहा जी मुझे नही पता।

वो एक दम गुस्से से बोली " इस कॉलेज में पढ़ते हो और यही के बारे में नहीं पता
बदतमीज कही के , किसी की हेल्प नहीं कर सकते इतनी भी "
अब मै क्या जवाब दू , उसे देखने से फुर्सत मिले तभी तो कुछ बोलू आगे।
इतने में वो आगे चली गयी और मै उसे देखता ही रह गया
जाते जाते उसने मुझे पलटकर देखा ऑफकोर्स गुस्से से।
पर उसकी गुस्से से देखती हुआ आँखें भी मुझे घायल कर गयी।
काफी देर तक मै जैसे जडवत सा वहा खडा रहा जैसे वो मुझे अपने मोहन मंत्र में मुझे जकड कर चली गयी हो। फिर मै जैसे तैसे क्लास का पता करके क्लास में पहुंचा तो देखा वो आगे से दुसरे वाले बेंच पर बैठी हुए थी।
मुझे कही और जगह खाली नहीं मिली तो मई उसके पास ही बैठ गया अब उसे अपनी गलती का एहसास हुआ के मुझे भी सच में ही क्लासरूम का नहीं पता था।

तो उसने मुझसे कहा "सॉरी मैंने आपको बिना बात के ही दांत दिया ,मैंने सोचा के आप जान बुझकर मुझे परेशान करने के लिए मेरी सहायता नही कर रहे।
मुझे माफ़ कर दीजियेगा। "
मै तो जैसे उसके सामने कुछ बोल ही नहीं पाता था। फिर कॉलेज के बाद वो मुझे कॉलेज के बहार ऑटो के इंतज़ार में कड़ी हुए मिली। मेरी इतनी भी हिम्मत नहीं हुए के मै उसे लिफ्ट की पेशकश कर सकू , और यर पुच सकू के वप कहा से आती है। हालाँकि वो ऐसी उम्मीद कर रही थी।
पर मै उसके पास से निकल गया।

पर निकल जाने के बाद मुझे उसे लिफ्ट ना देने का पछतावा हुआ।
अगले दिन कॉलेज पहुंचा तो उसके पास कोई लड़की बैठी हुई थी। इसीलिए मुझे दुसरे बेंच पे बैठना पडा। पढाई में तो मेरा ध्यान बिलकुल ही नही लग रहा था। सार दिन कॉलेज में उसको देख देखकर खुश होता रहता और घर आके अगले दिन उससे मिलने की बेचैनी रहती। mere मन में उसके लिए फुल प्यार वाली फीलिंग सुरु हो चुकी थी बॉस। पर मैंने सोचा के अगर मई उसको प्रोपोज करु और उसने मना कर दिया तो दिल टूट जायेगा।
उसे देखते ही मै ओवर रियेक्ट सा करने लगा था। परन्तु मेरा अपने उपर बस नहीं रहा था मै उसके सामने आते ही असहज हो जाता हु। हाथ पैर कांपने लगते हैं और ये बात उसने भी महसूस की। और एक दिन कॉलेज के बहार उसने मुझे रोका और बोली तुम मुझे देखकर डर क्यों जाते हो
आखिर क्या बात है। मै कुछ नही बोला , फिर बोल खुद ही बोली मेरा नाम प्रीत है मुझसे दोस्ती करोगे।
एक पल के लिए तो मै हैरान रह गया फिर कांपते हुए हाथो से उससे हाथ मिलाया " हेल्लो मेरा नाम प्रेम है "
अब हम दोस्त बन गये थे और मेरी सारी असहजता जैसे काफूर हो गयी।
फिर मई बोल आपको कही जाना हो तो मै छोड़ दू।

वो बोली " हां मुझे बस स्टैंड तक छोड़ दो "
मै बोल उससे पहले अपने नए दोस्त के साथ एक कप कोफ्फी नहीं पीना चाहोगी।
"पीना तो चाहती हु पर बस निकल गयी तो घर देर हो जाएगी , इसीलिए फिर कभी सही।
उसने बताया 'वह रोहतक के पास किसी कसबे से आती है "
फिर मैंने उसे बाइक पे बिठाया और बस स्टैंड की तरफ चल पडा।

रास्ते में ब्रेक लगाते टाइम जब उसकी गोलाइयां मेरी पीठ पे लगती तो शारीर में करंट सा आ जाता।
पर मुझे यह अच्छा लगने लगा और शायद उसे भी। क्युकी मै तो जान बुझकर डिस्क ब्रेक
ज्यादा लगा रहा था पर वो उतना ही ज्यादा मुझसे चिपकने लगी।
जिससे हम दोनों चलती बाइक पे ही थोड़े थोड़े उत्तेजित होने लगे , थोड़ी देर में ही हम बस स्टैंड पे थे। मेरा लल्लू लाल मेरी जीन्स को फाड़ने पे उतारू था।
पर उसे दिख ना जाये इसीलिए मै वहा बाइक पे बैठा बैठा ही उससे बाते करने लगा।
इतने में उसकी बस आ गयी।

आज मैंने पहली बार एक बहुत ज्यादा अजीब सी फीलिंग महसूस की जो जिंदगी में पहले कभी नहीं हुई।
ज़ारी रहेगी। ............................. वो ये की जब आपको किसी से लगाव हो जाता है तो उसके ज़रा से दूर जाने पे ही आप तड़प उठते हैं .उसकी बस आने के बाद मुझे एक अजीब सा डर लगने लगा . वो डर उससे जुदा होने का था. आखिर क्यों लग रहा था मुझे वो डर . शायद उसके मन के हालत भी ऐसे ही थे उसका जाने का मन नहीं कर रहा था . पर जाना तो था ही सो वो बस की तरफ जाने लगी और जाते जाते पीछे मुड कर देख रही थी . उसकी आँखों में भी मेरी तरह एक डर था और एक प्यास थी जैसे वो कह रही हो मुझे अपने पास ही रखो मुझे अपने से जुदा मत करो .
इस तरह वो बस में बैठ गयी , और बस चलने लगी तो मैंने बाइक स्टार्ट की और उसकी बस के साथ साथ चलने लगा . वो मुझे बस से अधीर आँखों के साथ ऐसे देख रही थी जैसे अभी बस से कूदकर बहार आ जाएगी

उसकी बस के जाने के बाद मै घर वापिस आ गया . आज तो जैसे मेरा चैन और नींद मेरे पास नहीं हो बल्कि वह ले गयी हो ना तो ठीक से भूख लग रही ना किसी काम में मन लग रहा था . ना ही रात को ठीक से नींद आ पायी . साड़ी रात बस उसके बारे में ही सोचता रहा . उसके पतले से होंठ प्यारी सी आँखे . जब वो चलती तो उसका सब कुछ लरजता हुआ चलता था . इसी कसमकश में मुझे नींद आ गयी .
अगले दिन जब मै कॉलेज पहुंचा तो उसकी बेकरारी देखि वो मेरे से पहले पहुंचकर मुझे तलाश रही थी .एक दुसरे को देखकर हम हम दोनों मुस्कुराये और एक दुसरे को गुड मोर्निंग कहा .फिर दोनों कॉलेज की पार्क में बैठकर अपने दिलो का हाल साझा करने लगे . सबसे पहले तो हम दोनों जाकर चुपचाप बैठ गये और एक दुसरे की आँखों में देखने लग गये . इस वक़्त लब खामोश थे पर दोनों की आँखें और दिल खामोशी से बाते कर रहे थे . मैं उसके दिल की बात समझ चुका था . मैंने कहा आज तो अपने दोस्त के साथ कॉफ़ी पीने चलो एक दिन के लिए कॉलेज बंक कर लेंगे . वो सम्मोहित सी हुए मेरी हर बात मानने लगी . फिर मै उसे बाइक पे बिठाकर एक रेस्तौरेंट में ले गया . उस रेस्तौरेंट में प्राइवेसी अच्छी थी कुछ दोस्तों ने बताया था के वे अपनी गर्लफ्रेंड्स को लेकर वही जाते हैं .

रेस्तौरेंट में पहुंचकर देखा वहा तो सच में बहुत प्राइवेसी है हर टेबल केबिन में थी . मैंने एक केबिन बुक किया और उसमे हम दोनों बैठ गये .
मैंने कॉफ़ी आर्डर की और कुछ ही देर में वेटर कॉफ़ी लेकर चला गया और केबिन बंद करता गया .हमने कॉफ़ी पी कॉलेज से आने के दौरान अब तक वो कुछ नहीं बोली निल्कुल चुप चाप रही . मैंने पुछा क्या बात है प्रीत इतनी चुपचाप क्यों हो कुछ तो बोलो मुझसे बात करो . वो धीरे से बोली प्रेम मुझे पता नहीं क्यों एक अजीब सा डर लग रहा है प्लीज़ चलो यहाँ से ,
क्या हुआ प्रीत मै हु ना यहाँ तुम्हे कैसा डर बोलो . और मुझे तो तुमसे बहुत साड़ी बाते करनी हैं आज . वो बोली क्या बाते करनी हैं .
प्रीत पता नहीं तुम्हे कैसा लगेगा पर मई तुमसे कुछ कहना चाहता हु . अगर तुम्हे बुरा लगे तो बता देना फिर कभी इस बात का जीकर हम दोनों के बीच नहीं होगा . पर किसी भी हालत में प्लीज मुझसे दोस्ती मत तोडना नहीं तो मै टूट जाऊँगा .
हां प्रेम तुम बेहिचक बोलो

मैंने उसका हाथ अपने हाथो में लिया और फिर अपने होंठो से लगा लिया
प्रीत मई तुमसे बेहद प्यार करता हु . जिस दिन तुम्हे पहली बार कॉलेज में देखा था उसी दिन मुझे पहली ही नजर में तुमसे प्यार हो गया था आई लव यू प्रीत आई लव यू .

हाथ पे होंठ लगाने से और propose करने से वो सिकुड़ सी गयी . और जिस तरह से उसने शरमाकर आँखें चुरायी मई तो घायल ही हो गया था . उसकी इस बात पे मुझे इतना ज्यादा प्यार आ गया के भावानुकूल होकर मैंने उसके होंठो पर अपने होंठ रख दिए .
मई तो जैसे सातवे आसमान पे था . उस पल मेरे मन में कैसा फील हो रहा था ये तो वो लड़का ही समझ सकता है जिसने पहली बार किसी लड़की की किस ली हो , और वो भी इतनी सुंदर लड़की की .हम दोनों किस करते करते एक दुसरे के गले लगकर चिपक गये तकरीबन 2 मिनट तक हम दोनों एक दुसरे में खोये रहे .मई तो जैसे अपने आप को भूल ही चुका था .

अचानक से वो मुझसे अलग हो गयी . और वहा से उठकर भाग गयी मुझे कच समझ में नहीं आया मई जल्दी से बिल भरके उसके पीछे भागा . बहार निकलकर देखा तो वो कही नहीं थी . उसे देखने बहार गया तो वहा नहीं मिली जल्दी से बाइक लेके कॉलेज की तरफ भागा . सारे कॉलेज में देखा पर वो कही नहीं मिली . मै बहुत परेशान हो गया आखिर उसने ऐसा क्यों किया कही वो अब मुझसे बात करना ही ना छोड़ दे .
फिर अचानक से मेरे दिमाग ने काम किया मई बस स्टैंड की तरफ भागा .
वह पहुंचकर देखा तो उसकी बस जा चुकी थी


0 Comments: