Friday 30 March 2018

साकारात्मक सोच एक नया 'वरदान'






   
   नमस्कार दोस्तों आज के हिंदी विचार में आप पढ़ेंगे 'साकारात्मक सोच एक नया वरदान' जो आपको भी सोचने पर मजबूर कर देगी , लेकिन दोस्तों मुझे नहीं पता आपको मेरा ब्लॉग  कैसा लगता होगा? फिर भी मेरे कुछ  दोस्त इससे प्रेरित हुए है तो में प्रयास करूंगा आपको अच्छे विचार प्रदान करूं!



         दोस्तों आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हमारे मन में न जाने कितने विचार आते है , लेकिन हम उन्हें सोचने का एक साधन बना लेते है! हम यह सोचते है की सोचने-विचारने से अपनी समस्यांए हल हो जायगी या नहीं  परन्तु ऐसा कुछ  नहीं होता है



          क्यूंकि यह हमारी सोच है और हम उस पर विश्वास कर लेते ,लेकिन वास्तविकता तो यह है की हमारे विचार पहले तो स्वयं समस्याएं पैदा करते है , और फिर अपनी ही पैदा की गयी समस्याओं को हल करने में उलझा  देते  है!

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          दोस्तों जब हम किसी सफल व्यक्ति के बारे में सोचते है या उनके विचारों को पढ़ते है तब हम कुछ समय के लिए प्रेरित होते है और इसके बाद हम उन्हें भूल जाते है छोड़ देते है! ऐसा क्यों होता है? हमारे साथ पता है आपको नहीं न?  तो दोस्तों यह सब हमारे सोचने और विचारने पर ही निर्भर करता है!  क्यूंकि सोचने ओर विचारने का सीधा सम्बन्ध हमारे दिमाग से होता है यदि हमारा दिमाग कंट्रोल करना आ गया तो सब कुछ समझ में आ जायगा!





            हमारी सोच को सकारात्मक रखना चाहिए क्यूंकि  सकारात्मक सोच एक शक्ति है , एक शस्त्र है , एक वरदान है जो की हमे भगवान द्वारा प्रदान किया गया है! यदि हम इसका उपयोग सकारात्मक भाव से करे तो , हम बड़ी से कठिनाइयों का भी सामना आसानी से कर सकते है! इस संसार में कोई ऐसा व्यक्ति नहीं है जिसके जीवन में कोई प्रॉब्लम न आयी हो!

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            हमारे जीवन में सकारात्मक सोच का बहुत महत्व होता है! जब हमारी सोच सकारात्मक या अच्छी सोच होती है , तब हमारे जीवन में जितने भी काम होते है वो सभी निश्चिंत रूप से पूरे हो जाते है , लेकिन जो व्यक्ति अपने मन में , अपने व्यवहार में तथा अपने कार्यों में नकारात्मक भाव लाता है वह कोई भी कार्य अच्छे से नहीं कर पाता है!





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              जब हम जीवन  में सकारात्मक सोच रखते है तब हम सकारात्मक भावनाओ को ढूढ़ने लगते है और जब हमें सकारत्मक भावनाये प्राप्त हो जाती है तब हम उसके परिणाम ढूंढ़ने लगते है , मतलब सकारत्मक भावनाये ही हमारी सोच में परिवर्तन लाती है इसलिए हमें अपनी सोच के साथ दूसरों के प्रति जो भावनाये होती है उनको भी बदलना चाहिए! 


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दोस्तों इसके लिए आपको एक उदाहरण देता हूँ
       
            जब हम स्कूल में पढ़ते थे तब हम यह सोचते की हम पास जरूर होंगे क्यूंकि हम अपने आप पर विश्वास करते थे , मतलब यह है की हम उस समय हमारे मन में पढाई के प्रति सकारात्मक सोच रखते थे इसलिए हम पास हो जाते थे!
           
            लेकिन जो हमारे साथ पढ़ने वाला दोस्तों इसलिए फ़ैल हो जाता था क्योंकि वो पढाई के प्रति अपने मन में नकारात्मक भाव और नकारात्मक सोच रखता है! वो पढाई को गंभीरता से नहीं लेता था!
     
            ठीक इसी प्रकार यदि हम अपने जीवन में किसी कार्य को करते है तो उसे पूर्ण रूप से गंभीरता के साथ करे और साथ में सकारात्मक सोच और सकारत्मक भावनाओं के साथ करे तभी हम पूर्ण रूप से उस कार्य में सफल हो सकते है!





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               दोस्तों यदि हमें अपने जीवन में कुछ बड़ा करना है तो हमें हमारी सोच को बदलना पढेगा! वैसे भी आपको पता ही होगा , हमारी सोच सकारात्मक और नकारात्मक दो रूपों में होती है यदि हम नकारात्मक सोच को अपनायेगे तो यह हमें आगे नहीं बढ़ने देगी तो दोस्तों इससे अच्छा यह की आप अपने जीवन में सकरात्मक सोच लाय अपने मन में और दूसरों के प्रति सकारात्मक भाव लेकर आये!





                सिर्फ साकारात्मक भावनाये ही हमे जीवन में खुशियां दे सकती है और हमें ऊंचाइयों तक भी ले जाती है जबकि नकारात्मक सोच हमें दुःख तो देती ही है और साथ में ,  हमारे जीवन को पूरी तरह से बर्बाद भी कर देती है!


                 हमारी हर एक नई सोच आने वाली परिस्थिति के बारे में बताती है तो दोस्तों क्यों न हम हमारे मन में सकारात्मक सोच रखे!
      

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