Monday 3 September 2018

दोस्ती है या प्यार ....एक छोटी से प्रेमकहानी


बात उस समय की है जब मैं भोपाल  से MBA कर रहा था ,मैं अपने class की एक लड़की से प्यार करता था और उस से शादी कर के एक अच्छा जीवन जीना चाहता था | मगर मुझे पता नहीं था की आने वाला समय मेरे जीवन मैं ऐसा मोड़ लेकर आएगा ,उस लड़की का नाम आरती (काल्पनिक नाम ) था ,वो पढने मैं बहुत अच्छी थी और दिखने मैं सरल और सादगी से भरी हुई | लड़कियों से बात करने मैं झिजक तो हमेशा से रही है ,इतनी हिम्मत नहीं थी की उसके पास सीधे जा कर अपने दिल की बात कह सकूँ | चमक धमक से आकिर्षित होने वाली लड़की वो थी नहीं ,तो सोचा चलो पढाई मैं अच्छे नंबर ला कर ली कुछ काम हो पाएगा ,दिन रात मेहनत की और इस बार class मैं मैंने आरती को पछाड़ कर फर्स्ट रैंक हासिल की |

मुझे लगने लगा था की अब शायद इस लड़की को पाना कठिन नहीं है ,मगर उस रात दोस्तों से साथ कुछ ऐसी महफ़िल सजी की शराब के नशे मैं कॉलेज फेस्ट मैं जाना पड़ा ,कदमों मैं लडखडाहट थी | उसको भी मुझे ऐसी हालत मैं ही देखना था ,अब भाई लड़के हैं दोस्तों मैं कभी कभी शराब हो जाती है |



शायद वो लड़की कुछ जायदा ही सीधी थी ,इतनी सीधी की कॉलेज मैं पढने के बावजूद मोबाइल फ़ोन तक नहीं रखती थी | उसको ये पता चल चुका था की मैं उससे प्यार करता हूँ ,उसकी नज़रें जब भी मेरी नज़रों से मिलती थीं तो नजाकत से झुक जाती थी | मेरे सारे दोस्तों को भी लगता था की हम दोनों एक दुसरे के लिए ही बने हैं |

बात होली की है , सबको रंग लगाने के बाद वो मेरे पास आई ,मेरे चेहरे पर रंग लगाया और कहा हैप्पी होली साहिल | उसके हाथों का संपर्क जैसे ही मेरे चेहरे से हुआ मुझको ऐसा लगा जैसे समय वहीँ रुक गया हो ,जैसे अब कुछ नहीं चाहिए जिंदिगी से ,इस पल मैं अपनी पूरी जिंदिगी को समेट कर रख लेना चाहता था ,वक्त से इस पल को चुरा के अपने पास रख लेना चाहता था | 
सब कुछ अच्छा चल रहा था मगर फिर मेरी लव स्टोरी की मैं विलन की एंट्री होती है | ये कोई और नहीं आरती की सहेली सोनम (काल्पनिक नाम ) थी | मुझ मैं इतनी हिम्मत नहीं थी की आरती से सीधे जा कर अपने दिल की बात कह सकूँ तो सोचा आरती की बेस्ट फ्रेंड को माध्यम बनता हूँ |
मैंने सोनम से बात करना शुरू की और उसको बताया की मैं आरती से प्यार करता हूँ, उसका जबाव था की आरती तुमसे प्यार नहीं करती और उसके घरवाले कभी शादी की इज़ाज़त नहीं देंगे | मेरा दिल टूट गया मगर मैंने सोनम से बात करना ज़ारी रक्खा ये सोच के की शायद आगे आरती का मन बदल जाए ,मगर हुआ इसके विपरीत |


सोनम ने मुझसे फ़्लर्ट करना शुरू कर दिया | मैंने सोचा आरती की सहेली है ,साली हुई अपनी चलो थोडा बहुत फ़्लर्ट तो चलता है भाई | मैंने भी फ़्लर्ट ज़ारी रक्खा ,मगर मुझको नहीं पता था की सोनम किस तरह से मेरे पीछे पड़ जाएगी ,वो मेरी ही caste की थी तो उसके घर वाले भी चाहते थे की उसकी शादी मुझसे हो जाए | मैं उसके साथ अच्छा व्यवहार इसलिए करता क्योँकी वो आरती की पक्की सहेली थी मगर वो मेरे अच्छे व्यवहार को प्यार समझने लगी |
अब भाई कोई लड़की इतना प्यार करेगी तो कौन लड़का होगा जो मना कर पाएगा भाई हमने भी हाँ कह दिया , मगर बाद मैं मुझको पता चला की आरती मुझसे प्यार करती थी ,और सोनम ने मुझसे झूठ बोला था क्यूंकि वो मुझे हर हाल मैं पाना चाहती थी 
मैंने सोनम को मिलने के लिए बुलाया , मैं उसके घर के पास के चाय की ठेले पर उसका इंतज़ार कर रहा था | वो बाहर आई ,गज़ब सी खूबसूरती थी उसमें ,आँखों मैं एक कशिश थी ,जब वो मुस्कुराती थी तो ऐसा लगता था जैसे एक साथ हजारो फूल खिल गए हों | आज उसने पर्पल कलर का टॉप पहना हुआ था |

‘ साहिल , क्योँ बुलाया है तुमने मुझे ? क्या प्लान है आज का ? ‘ उसने पूछा 
‘ आज मौसम बहुत अच्छा है तो सोचा की कहीं घूम के आते हैं ‘ , मैंने कहा
‘ तुम कोई दिन फंसवोगे मुझे , आज भैया और पापा दोनों घर पर ही हैं ’ , उसने हँसते हुए कहा 

वो मेरी मोटरसाइकिल के पीछे बैठ गयी , उसका दाहिना हाथ मेरी कमर पर था और बांया हाथ मेरे कंधे पर | हम हाईवे पर आ चुके थे | आज बहुत दूर जाने का मन था , किसी ऐसे जगह जहाँ सिर्फ हम दोनों हों |

ऐसा लग रहा था जैसे मौसम भी हमारा साथ दे रहा हो ,आसमान मैं हलके हलके बादल घिरे हुए थे और साथ मैं बसंत का महिना , हर तरह हरियाली छाई हुई थी |
सोनम ने मुझे कस के पकड़ लिया , शहर से १० km बाहर आने पर मैंने एक खुबसूरत सी जगह पर अपनी मोटरसाइकिल रोकी | एक सुंदर सी झील थी वहां जहाँ कभी मैं अपने दोस्तों के साथ घुमने आया करता था , मगर आज वहां सिर्फ हम दोनों थे |
हम दोनों झील के पास बैठ गए , उसने अपने बायें हाथ से मेरे दाहिने हाथ को कुछ ऐसे पकड़ा की मेरी उंगलियों के बीच के खाली जगह को उसकी उंगलियों ने भर दिया | हलकी हलकी हवा चल रही थी और उसके रेशमी बाल उड़ कर मेरे चेहरे पर आ रहे थे | उसके बालों की खुशबू मुझे मदहोश कर रही थी , ऐसा लग रहा था की जैसे शायद यही वो पल था जिसका इंतज़ार मैं कब से कर रहा था | 

‘ साहिल मुझको तुम्हे कुछ बताना है ’ , उसने सन्नाटे को तोड़ते हुए कहा
‘ क्या सोनम , क्या कहना चाहती हो ? ’ , मैंने पूछा
‘ आरती भी तुमसे उतना ही प्यार करती थी जितना की तुम उससे करते थे ’ , सोनम ने कहा 

ये वो पल था जिसने एकदम से पुरे माहोल को बदल कर रख दिया |
‘ सोनम तुमने ऐसा क्योँ किया ? ’ ,मैंने पूछा
‘ क्यूंकि मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ , और मैं जानती हूँ मुझसे जायदा प्यार तुमसे कोई भी नहीं कर सकता ’ , सोनम ने जबाव दिया
‘ ऐसा तुम सोचती हो सोनम , और तुम गलत भी हो सकती हो ’ , मैंने गुस्से मैं कहा 

‘ तुम सिर्फ मेरे हो साहिल और मैंने तुम्हे पाने के लिए झूठ बोला , मगर अगर किसी अच्छे उद्देश के लिए झूठ भी बोला जाए तो वो सच से बढ़ कर होता है , मैं तुम्हे बहुत प्यार करना चाहती हूँ साहिल ’ , ऐसा कह कर उसने मुझे कस के गले लगा लिया |
उसके हाथ मेरे कंधो को जकड़े हुए थे , मैंने उससे अलग होते हुए कहा ‘ सोनम ये सब गलत है , ऐसा तुम सोचती हो, तुमने एक बार भी ये नहीं सोचा की मैं आरती से कितना प्यार करता था ’

‘ मुझे कोई फरक नहीं पड़ता की तुम किस्से प्यार करते हो , मैं जानती हूँ की वो लड़की तुम्हे उतना प्यार कभी नहीं कर पाएगी जितना मैं कर सकती हूँ . जान भी दे सकती हूँ मैं तुम्हारे लिए ’ , सोनम ने कहा
हम दोनों घर की तरफ चल दिए , मगर इस बार फरक इतना था की वही सुहाना मौसम अब सुहाना नहीं लग रहा था , और शायद मौसम को भी मेरे दिल की बात कैसे पता चल गयी | बादलों के गरजने के साथ हलकी बारिश शुरू हो गयी | सोनम ने बारिश से बचने के लिए मुझे पीछे से कस के पकड़ लिया , मगर अब मुझे ये बिलकुल भी अच्छा नहीं लग रहा था |


मैं तो अपने ही विचारो मैं खोया हुआ था , ‘ सोनम ने जो मेरे साथ किया वो सही है ? क्या वो सच मैं मुझसे बहुत प्यार करती है ? या उसको सिर्फ मेरी ज़रूरत है अपने अकेलेपन से बचने के लिए ? क्या झूठ बोल कर प्यार हासिल करके सोनम ने सही किया ? ‘ बहुत सारे सवाल थे मेरे दिल मैं जिनके जबाव मुझको नहीं पता थे |
हाँ एक बात तो पक्की थी और वो ये झूठ बोल कर प्यार हासिल कर के सोनम ने मुझे पा तो लिया मगर साथ ही उसे कुछ और भी मिला और वो था मुझे खोने का ‘ डर ‘|

मैं उसको उसके घर छोड़कर अपने घर पहुंचा , बारिश से कपडे भीग गए थे और तबियत भी ख़राब लग रही थी , बिस्तर पर लेटते ही कब नींद आ गयी पता नहीं चला , मगर जब आँख खुली तो पता चला की फ़ोन बज रहा था | ये सोनम का फ़ोन था , मैंने फ़ोन उठाया |


‘ साहिल , पता है मैं कितना परेशान हो गयी थी तुम्हारे लिए , कितनी बार फ़ोन किया मैंने , क्या कर रहे थे तुम ? ’ , सोनम ने कहा 

‘ सोनम मेरी तबियात ख़राब थी , इसलिए मैं सो गया था ’ , मैंने जबाव दिया 

‘ तुम सच बोल रहे हो ना ? , कहीं अपने दोस्तों के साथ बाहर घूम तो नहीं रहे और मुझसे पीछा छुड़ाने के लिए बहाना बना रहे हो ? ’ , सोनम ने कहा 

‘ तुम मुझसे प्यार करते हो न साहिल ? ’ ,सोनम ने कहा 

‘ हाँ मैं तुमसे प्यार करता हूँ सोनम ’ , मैंने जबाव दिया 

‘अच्छा सुनो आज मेरे cousin की इंगेजमेंट है और तुमने कहा था की तुम साथ चलोगे , तो जल्दी से तैयार हो जाओ ’ , सोनम से कहा 

‘ सोनम मैं नहीं चल सकता , मेरी तबियत ठीक नहीं है ’ , मैंने जबाव दिया 

‘ तबियत ठीक नहीं है ये मेरे साथ नहीं जाना चाहते हो ? साफ़ साफ़ कहो न की मेरे साथ चलने मैं शर्म लगती है तुमको ? ’ , सोनम ने गुस्से मैं कहा और फ़ोन काट दिया 



फ़ोन रखते ही मैं गहन विचारो मैं डूब गया , ‘ये लड़की हीन भावना की शिकार है | हर परिस्तिथि को ये अपने हीन भावना के चश्मे से देखती है , इसको हमेशा ये लगता है की लोग इसको पसंद नहीं करते हैं , शायद इसका रंग कम होना एक कारण हो सकता है , मगर मुझे तो सांवली लडकियां हमेशा से अच्छी लगती हैं , एक अजीब सी कशिश होती है उनमें | ‘कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था , तभी मुझे अपने परम मित्र यश दीक्षित की याद आई , जिन्होंने अभी अभी मनोविज्ञान से अपनी पढाई पूरी की है , मैंने उन्हें फ़ोन लगाया और अपनी सारी समस्या बताई |


‘ इतनी गंभीर समस्या मैं कैसे फंस गए तुम ’ ,यश ने मेरा मजाक बनाते हुए कहा

‘ भाई तुम्हे तो मजाक लग रहा है और यहाँ मुझे समझ मैं नहीं आ रहा है की मैं इस लड़की से पीछा कैसे छुडाऊं ’ ,मैंने जबाव दिया 

‘ अच्छा उसके बचपन के बारे मैं बताओ ,कितने भाई बहन है और उसका बचपन कैसा बीता ? ’ ,यश ने पूछा 

‘ तीन भाई बहन हैं वो ,एक भाई और दो बहन ,सबसे बड़ी है सोनम ,जब वो छोटी थी तब उसके घर की आर्थिक स्तिथि ठीक नहीं थी , तब भी पिता ने सब बच्चो को सबसे अच्छे स्कूल मैं पढाया ,उसने मुझे बताया था की जब वो class १२ मैं आ गयी तब जाकर उसके घर मैं टीवी आया ‘ ,मैंने कहा 

‘ और बताओ मुझे क्या जानते हो उसके बारे मैं ? उसकी छोटी बहन उससे कितने छोटी है ? ’ ,यश ने बहुत ही गंभीरता से पूछा 

‘ उसके छोटी बहन उससे दो साल छोटी है , उसका बचपन कुछ जायदा अच्छा नहीं बीता ‘ ,मैंने जबाव दिया 

‘ अब समझ मैं आई सारी कहानी साहिल भाई ’ ,यश ने हँसते हुए कहा 

‘ सोनम जब छोटी थी ,तब सब उससे प्यार करते थे और फिर जब वो २ साल की हुई तो सब लोग उसकी बहन से प्यार करने लग गए ,क्यूंकि उसके घर की आर्थिक स्तिथि इतनी अच्छी नहीं थी इसलिए कोई भी नयी चीज़ जब उसके घर आती तो वो उसकी बहन को मिलती सोनम की जगह ,उसके Sub Conscious मस्तिष्क मैं एक बात बैठ गयी की मेरी बहन ने मुझसे मेरा प्यार छीना है और इसी बात का बदला वो आज ले रही है | ‘ , यश ने कहा 

‘ मतलब ? ’ , मैंने आश्चर्जनक मुद्रा मैं पूछा 

‘ मतलब आरती मैं उसको अपनी बहन दिखाई देती है , उसने बदला लेने के लिए आरती से उसका प्यार छीन लिया ’ ,यश ने जबाव दिया 

‘ और रही बात हीन भावना की तो उसके माँ बाप अपने बच्चो मैं तुलना बहुत करते होंगे , और जैसा की तुमने बताया है की वो शहर के सबसे अच्छे स्कूल मैं पढ़ी , वहां वो और बच्चो को देखती होगी , अच्छे और महंगे कपडे पहनना , अच्छे से रहना , वो ये सब नहीं कर सकती थी इस बात से उसके मन मैं हीन भावना ने जन्म ले लिया ’ ,यश ने जबाव दिया 
‘ मतलब की लोगो से आगे निकलने की दौड़ मैं उसके माता पिता ने अपने बच्चो के साथ सच मैं गलत किया , भारत मैं ८० % राष्ट्रपति बहुत ही सामान्य दर्जे के हिंदी मध्यम स्कूल से पढ़ कर बढे हुए हैं ’ ,मैंने कहा 

‘ यही कारण है वो सबको ये बताने मैं लगी रहती है की वो कितनी अच्छी है , उसको लोगो की बुराई भलाई करने मैं अच्छा लगता है , वो सबको नीचा दिखने मैं लगी रहती है | इन सारी बातों का सिर्फ एक जबाव है , उसकी बहुत तुलना की गयी है बचपन मैं ’ , यश ने जबाव दिया 

‘ ये सब तो सही है यश भाई , मगर मुझे समझ मैं नहीं आ रहा की मैं इस लड़की से पीछा कैसे छुडाऊं ? ’ , मैंने कहा 

‘ भाई कल तू मेरे घर आ मैं तेरी समस्या का समाधान बताता हूँ ’ , 
यश ने हँसते हुए मुझसे कहा
अगले दिन सुबह उठ कर मैं यश दीक्षित के घर पहुंचा , वो अपने बगीचे मैं मेरा इंतज़ार कर रहे थे , टेबल पर चाय की केतली के साथ दो प्याले रक्खे हुए थे |

‘ आओ साहिल भाई , मैं तुम्हारा ही इंतज़ार कर रहा था ’ , यश ने मुस्कराते हुए कहा 
‘ भाई मैं बहुत परेशान हूँ आज कल , समझ मैं नहीं आ रहा है की क्या करूँ ’ , मैंने जबाव दिया 

‘ चीनी एक चम्मच या दो ? ’ , यश ने मुझसे पूछा
‘ एक ! ’ , मैंने कहा 

यश ने एक चम्मच चीनी मेरे प्याले मैं डाली और प्याले को मेरी तरफ आगे बढ़ाते हुए कहा

‘ भाई मेरे पास ऐसे कई केस आते रहते हैं ,और हम लोग थेरेपी दे कर धीरे धीरे पेशेंट को हीन भावना और मानसिक रोग से बहार निकाल लेते हैं , तुम उस लड़की को अगर ऐसे ही छोड़ दोगे तो वह और हीन भावना मैं चली जाएगी , उसको ऐसा लगेगा की उसमें सच मैं कोई कमी है तभी तुमसे उसको छोड़ दिया ‘ 

‘ फिर मैं क्या करूँ ? ’ , मैंने पूछा

‘ मुझे तुम्हारी समस्या का एक समाधान नज़र आ रहा है , तुम उसकी मुझसे दोस्ती करवाओ मैं उसको बिना बताये उसकी हीन भावना का इलाज़ करता रहूँगा , मैंने ऐसे कई पेशेंट का इलाज़ किया है ’ , यश ने कहा 

‘ मगर वो तुमसे दोस्ती क्योँ करेगी और वो तुमसे अपनी सारी बातें क्योँ शेयर करेगी ? ’ , मैंने कहा 

‘ तुम उसकी दोस्ती मुझसे करवाओ मगर उसको ये मत बताना की मैं मनोरोग का डॉक्टर हूँ ,मेरी कोई बहन नहीं है मैं उसको अपनी बहन बना लूँगा ,ऐसा होने से वो अपनी सारी बातें मुझसे बहुत आराम से शेयर कर लेगी ,’ यश ने कहा 

मैंने ऐसा ही किया सोनम की दोस्ती यश दीक्षित से करा दी और यश ने उसे अपनी बहन बना लिया , धीमे धीमे यश ने सोनम को बिना बताये थेरेपी देना शुरू की और सोनम हीन भावना से बहार आने लग गयी , उसे अपनी गलती का एहसास होने लग गया |

सोनम ने मुझसे और आरती दोनों से माफ़ी मांगी , आज सोनम पूरी तरह से हीन भावना से बहार आ चुकी है और एक अच्छी जिंदिगी जी रही है |

मेरी सोनम से अब बात नहीं होती है मगर यश की आज भी सोनम से दोस्ती



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