Sunday 13 May 2018

माँ तू जो खिलाती थी हाथ से रोटी वो भूक सताती है!


Mothers day special , haapy mothers day
माँ तू जो खिलाती थी हाथ से रोटी वो भूक सताती है!






 तन कोमल , मन कोमल , बटवृक्ष सी जिसकी छाया है 
 यह सब और कहि नहीं 'सोनू' मेने मेरी माँ में पाया है! 





पति के प्रेम को वरदान समझ जिसने इतना कर डाला , 
एक आस में विश्वास जगा कर मुझको उसने पाला! 

धन्य हुआ में उसकी दया से इस जग में आ पाया! 
यह सब और कही नहीं मेने मेरी माँ में पाया है! 

नव मास अपनी कोंख में रखकर  




जिसने मुझ पर उपकार किया! 

किसी जब पूंछा तो मुझको
अपनी ममता का सहारा दिया! 

छोड़ा न कभी अकेला मुझको
 जिसने हर पल  संभाला है! 

यह सब और कही नहीं सोनू मेने मेरी माँ में पाया है!  
तन कोमल , मन कोमल , बटवृक्ष सी जिसकी छाया है


माँ तेरी ममता की छाव की याद आती है! 
तू जो खिलाती थी हाथ से रोटी वो भूक सताती है! 

तुम से होकर मेरी प्यारी माँ जानी ममता क्या है! 




इस दुनिया की भीड़ ने याद दिला दी माँ की क्षमता क्या है!  

मुझको को तो छोड़ो माँ यह रूह भी पछताती है! 
मुझको वो ममता बहुत रुलाती है! 

माँ तेरी ममता की छाव की याद आती है! 

तू जो खिलाती थी हाथ से रोटी वो भूक सताती है! 

परदेश में भी माँ तेरी दुआओ का सहारा है! 
तू पास नहीं माँ फिर भी तेरा बेटा , तेरी यादों का दुलारा है!

 तेरी कमी तो नहीं माँ फिर तेरी कमी सताती है!
 माँ तेरी ममता की छाव याद आती है! 





तू जो खिलाती थी हाथ से रोटी वो भूक सताती है! 

जब रोया अपनी ख्वाइशों के लिए तब खुद की ख्वाइशों को मारा है! 
जब भी गिरा तुमने दिया माँ , अपने आँचल का मुझको सहारा है! 

कैसे एक पल में वो भूल कर चला आया वो भूल रुलाती है! 
माँ सच में मुझको तेरी वो रातों की कहानियां याद आती है! 





माँ तेरी ममता की छाव की याद आती है!
 माँ तू जो खिलाती थी हाथ से रोटी वो भूक सताती है!


0 Comments: